पूर्व मुख्यमंत्री राजिंदर कौर भट्ठल की सरकारी कोठी का मामला उलझता जा रहा है। इसे लेकर कई सवाल उठ रहे हैं। बताया जाता है कि सरकारी कोठी के लिए उनको किसी बोर्ड या निगम का प्रधान बनाने की तैयारी है। यदि ऐसा होता है तो पंजाब में यह पहली बार होगा कि किसी पूर्व मुख्यमंत्री को निगम या बाेर्ड का अध्यक्ष बनाया जाएगा। दूसरी ओर, कांग्रेस का कहना है कि भट्ठल की संभावित नियुक्ति को उनकी सरकारी रिहायश बचाए रखने के साथ जोड़ कर नहीं देखा जा सकता।
कानूनी सलाह के लिए एडवोकेट जनरल को भेजी फाइल अब तक वापस नहीं आई
बता दें कि पंजाब सरकार ने भट्ठल की कोठी बकाया करीब 84 लाख रुपये की राशि माफ कर दी थी। ऐसे में राज्य की राजनीति में सवाल उठ रहे हैं कि क्या मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह कोई भी बोझ उठाने को तैयार हैं? क्या मुख्यमंत्री राजिंदर कौर भट्ठल को किसी बोर्ड का चैयरपर्सन बना कर उनके सरकारी आवास को बचाएंगे?
पूर्व मुख्यमंत्री राजिंदर कौर भट्ठल की कोठी के 84 लाख रुपये माफ करके कांग्रेस सरकार पहले ही विपक्ष के निशाने पर रही है। दूसरी ओर सरकार ने यह संकेत दिए हैं कि भट्ठल को किसी बोर्ड या कॉर्पोरेशन में एजडस्ट किया जा सकता है।
कोठी के 84 लाख रुपये माफ करके पहले ही विपक्ष के निशाने पर रही है कांग्रेस
पंजाब सरकार पर इस समय भट्ठल ने कोठी बचाए रखने को लेकर दबाव बनाया हुआ है। यह दबाव इतना ज्यादा है कि भट्ठल की कोठी की फाइल मुख्य सचिव के दफ्तर से कानूनी सलाह लेने के लिए एडवोकेट जनरल के दफ्तर भेजी गई है। जहां से अभी यह लौट कर नहीं आई है।
चुनाव हारीं, लेकिन नहीं छोड़ी कोठी
पूर्व अकाली-भाजपा सरकार ने सेक्टर दो में पूर्व मुख्यमंत्री राजिंदर कौर भट्ठल को सरकारी कोठी अलॉट की थी। तब वह विधायक थीं। सुरक्षा के कारण उन्हें कोठी अलॉट की गई थी। 2017 का चुनाव भट्ठल हार गईं, लेकिन उन्होंने कोठी पर अपना कब्जा बरकरार रखा। हालांकि, सरकारी तौर पर कांग्रेस सरकार ने न तो उन्हें कोठी में रहने की स्वीकृति दी और न ही उनसे खाली करवाया।
इस दौरान सुप्रीम कोर्ट की ओर से उत्तर प्रदेश के एक केस में फैसला दिया गया कि पूर्व मुख्यमंत्री को सरकारी कोठी नहीं दी जाएगी। इस फैसले के बाद पंजाब सरकार में खलबली मच गई। हालांकि, पंजाब में पूर्व मुख्यमंत्री को सरकारी कोठी देने का कोई कानून नहीं है। सुप्रीम कोर्ट के फैसले में पंजाब पक्ष भी नहीं है। इसके बावजूद कानून राय लेने के लिए फाइल को एजी के पास भेजा गया। पंजाब सरकार पहले भी भट्ठल की ओर से चुनाव लड़ने के लिए जमा करवाए गए 84 लाख रुपये को माफ कर चुकी है।
नाराजगी मोल लेना नहीं चाहते कैप्टन
सरकार का कहना है कि यदि भट्ठल को किसी प्रतिष्ठित पद पर नियुक्त किया जाता है, तो इसका आधार उनका पूर्व मुख्यमंत्री के तौर पर राज्य में लंबा प्रशासनिक तजुर्बा और महारत होगा न कि सरकारी कोठी। सूत्रों के अनुसार, कोठी को लेकर कैप्टन भी दुविधा में हैं। क्योंकि, कैप्टन अपनी पहली सरकार में अपने समर्थक विधायकों के साथ दिल्ली में परेड करवाने वाली भट्ठल की नाराजगी मोल नहीं लेना चाहते। भले ही भट्ठल का अब वह राजनीतिक कद न हो, लेकिन क्या कैप्टन कोठी के लिए अपने दामन पर धब्बा लगने देंगे। इसका जवाब खुद कैप्टन अमरिंदर सिंह को ही देना है।