लखनऊ। अब डायबिटीज लाइलाज बीमारी नहीं रही। ये भोजन से जुड़ी हिदायतों का पालन करने पर भी ठीक हो सकता है। एलके डायबिटीज सेण्टर के एंडोक्राइनोलॉजिस्ट डॉ. एलके शंखधर ने बताया कि अब दिन लद गए हैं कि मधुमेह को लाइलाज रोग के बतौर प्रस्तुत किया जाए। न्यू कौशल यूनिवर्सिटी के शोधकर्ता डॉ. रॉय टेलर ने मधुमेह के बहुत पुराने रोगियों को भी क्योर करके दिखाया है और वह भी के मात्र भोजन की हिदायतों से। उन्होंने बताया कि नवीन शोधों में पायोग्लीटजोन दवा को सुरक्षित पाया गया और अब ये माना जाता है कि इससे मूत्राशय का कैंसर होने का कोई प्रमाण नहीं है। साथ ही ये पाया गया कि यह फालिस व दिल के सुरक्षा प्रदान करता है।
दरअसल, रविवार को एलके डायबिटीज सेण्टर की ओर से डायबिटीज अपडेट पर संगोष्ठी आयोजित की गई। एक निजी होटल में आयोजित इस कार्यक्रम में केजीएमयू के प्रो. राकेश शुक्ल ने मधुमेह के घातक कुप्रभाव- न्यूरोपैथी पर अपना व्या यान देते हुए कहा कि इससे बचने का कारगर तरीका मधुमेह को नियंत्रित रखना है। नियमित जांच से इसे समय रहते पहचान कर ए प्यूटेशन से बचा जा सकता है। डिवाइन हार्ट सेण्टर के कार्डियक सर्जन प्रो. एके श्रीवास्तव ने मधुमेह जनित दिल के रोगों पर अपना व्या यान प्रस्तुत करते हुए आगाह किया कि 70 से 80 प्रतिशत मधुमेहियों में मौत का कारण दिल का दौरा ही होता है।
इससे बचने के लिए रक्त में वसा का स्तर सामान्य रखें, धूम्रपान बिलकुल न करें, सक्रिय जीवनशैली अपनायें, नियमित व्यायाम करें और मोटापे से बचें। केजीएमयू के प्रो. मनीष गुच ने बताया कि दिल के रोगों से बचने के लिए रक्त में वसा के दोष और निदान पर ज्ञानवर्धक व्याख्यान प्रस्तुत किया। लखनऊ के जाने माने गैस्ट्रोइंट्रोलॉजिस्ट डॉ. अजय कुमार चौधरी ने मधुमेह में लिवर में वसा के एकत्रित होने वाले रोह एनएएफएलडी के प्रति सचेत करते हुए बताया कि उसे नजरअंदाज नहीं करना चाहिए। वरना, सिरोसिस के कारण लिवर फेल हो सकता है। उन्होंने बताया कि जिन्हें एनएएफएलडी होता है, उन्हें भविष्य में मधुमेह होने का खतरा बहुत रहता है। केजीएमयू के दन्त संकाय के प्रो. अंजनी कुमार पाठक ने बताया कि मधुमेह में दांतों के कुप्रभावों पर प्रकाश डालते हुए पायरिया के बारे में बताया। प्रो. इंदु वाखलू, प्रो. एके वाखलू और प्रो. रमाकांत ने विभिन्न सत्रों की अध्यक्षता करते हुए चिकित्सा सत्रों को स पादित किया।