Tuesday , October 8 2024

गणेश उत्सव में गंगा नहीं होगी मैली, पंचगव्य बनाई गई मूर्तियां

unnamed (3)कानपुर । गंगा में मूर्ति विसर्जन की रोक से आहत गणेश भक्त अविनाश ने पंचगव्य से मूर्तियां बनाना शुरू कर दिया जिनमें किसी भी प्रकार का केमिकल नहीं होता है और न ही ऐसा कोई तत्व है जिससे गंगा मैली हो। जिला प्रशासन ने इन मूर्तियों को गंगा में मूर्ति विसर्जन की अनुमति देने का आश्वासन दिया है।

हाईकोर्ट ने त्यौहारों पर केमिकल से बनी मूर्तियों को गंगा में विसर्जन के लिए पूरी तरह से रोक लगा दी। जिससे गणेश भक्त आर्यनगर निवासी अविनाश मिश्रा (65) काफी आहत हुए और कुछ ऐसा करने की ठान ली कि आस्था पर चोट न लगे। उन्होंने इसके लिए पंचगव्य (गोबर, गोमूत्र, दूध, दही और घी) का सहारा लिया और लगातार दो वर्षों से गणेश मूर्तियां के साथ गणेश-लक्ष्मी व गमले बनाने लगे। यही नहीं मूर्तियों की रंगाई भी देशी तरीके से की है। मूर्तियों की रंगाई में इन्होंने सिर्फ चंदन और हल्दी का इस्तेमाल किया है। उसने बताया कि गोबर को सुखाकर उसका पाउडर बनाया जाता है। मजबूती के लिए कुछ जड़ी बूटियां और बेल के पेड़ की छाल मिलाई जाती है। रंग और सुगंध के लिए चंदन हल्दी और टेसू के फूलों का प्रयोग किया जाता है। इन देशी नुस्खों से बनाई गई मूर्तियां को शहरवासी हाथो-हाथ ले रहे है। अविनाश ने बताया कि मूर्तियों को आईआईटी ने प्रमाणित कर दिया है कि इससे गंगा में प्रदूषण नहीं होगा। कहा कि एडीएम सिटी अच्छेलाल यादव से इन मूर्तियों को गंगा में विसर्जन के लिए बात की गई है उन्होंने आश्वासन दिया है कि गणेश उत्सव के पहले अनुमति दे दी जाएगी।

गणपति बप्पा की 50 साल से कर रहे आराधना-

अविनाश ने बताया कि जब उनकी उम्र महज 15 साल की थी, तब से भगवान गणेश के खास त्योहार में भाग लेते आए हैं। पिता जी गणेश महोत्सव पर हमें लेकर नवाबगंज जाया करते थे। पिता जी के गुजर जाने के बाद हमने आर्यनगर में गणेश महोत्सव के आधारशिला रखी। मोहल्लेवालों की मदद से हर साल गणेश महोत्सव पर चंदा कर गणेश की मूर्तियां लाते और गंगा में विसर्जन करते।

दो साल से बना रहे मूर्तियां, फ्री में बांट रहे-

अविनाश के मुताबिक दो साल पहले गंगा में गणेश मूर्तियों के विसर्जन के दौरान जल में फैली गंदगी को देखकर मन व्याकुल हुआ और उसी दिन यह तय कर लिया कि अब गंगा में केमिकल की नहीं शुद्ध गाय के गोबर से बने गणेश की मूर्ति ही विसर्जित की जाएंगी। अविनाश ने बताया कि वह पहले व्यापार करते थे, लेकिन बेटे की विदेश में नौकरी लग जाने के बाद कारोबार बंद कर समाजसेवा के काम में जुट गए। 2014 में गणेश महोत्सव पर्व से पहले हमने 10 गाय के गोबर से गणेश की मूर्तियां बनाईं और भक्तों को फ्री में दीं। एक गणेण की मूर्ति बनाने में खर्च 1700 रूपए के आसपास आता है। इस वर्ष भी अब तक 50 मूर्तियां बना चुके हैं जो गणेश उत्सव से एक दिन पहले भक्तों को दे दी जाएंगी। इन मूर्तियों में गणेश लक्ष्मी व गमलें भक्तों को अनायास आकर्षित कर रहें हैं।

E-Paper

Powered by themekiller.com anime4online.com animextoon.com apk4phone.com tengag.com moviekillers.com