नई दिल्ली। मनी लॉन्ड्रिंग के मामलों में सुप्रीम कोर्ट ने अहम फैसला दिया है। HC ने कहा है कि ‘जमानत नियम है और जेल अपवाद है। इसीलिए जमानत का नियम प्रीवेंशन ऑफ मनी लॉन्ड्रिंग के केस में भी लागू होता है। कोर्ट ने साफ कहा है कि पीएमएलए के सेक्शन 45 के तहत ज़मानत के लिए दोहरी शर्त का मतलब ये नहीं है कि आरोपी को ज़मानत दी ही नहीं जा सकती है।
किसी की व्यक्तिगत आजादी, आर्टिकल 21 के तहत जीवन के अधिकार का हिस्सा है। इसे सिर्फ उचित क़ानूनी प्रकिया का पालन करके ही छीना जा सकता है। इसके साथ ही सुप्रीम कोर्ट ने स्पष्ट तौर पर कहा कि PMLA के तहत हिरासत के दौरान कोई आरोपी जांच अधिकारी के सामने अपने अपराध को स्वीकार करने का बयान देता है, तो उसे अदालत में यूं ही सबूत नहीं माना जाएगा। उसका सबूत माना जाना या नहीं माना जाना, उस केस के तथ्यों पर निर्भर करेगा। बता दें कि सुप्रीम कोर्ट ने यह टिप्पड़ी झारखंड के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन के कथित सहयोगी प्रेम प्रकाश को जमानत देते हुए की है।
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