उसका यह दुख देखकर श्मसान राजा का भी दिल जार-जार रोने लगा उसने दाह-संस्कार की राशि लेने से मना कर दिया लेकिन जब उस पत्नी ने कहा कि बिना आपको दक्षिणा दिए मेरे पति को मुक्ति नहीं मिलेगी तो श्मसान राजा ने मात्र एक रूपये लिए और संस्कार करा दिया। श्मसान घाट पर अपने पति के लिए समर्पण और प्रेम, पत्नी धर्म की जीती जागती मिसाल कमली देवी का दुख देखकर हर कोई रोने लगा।
कमली देवी भागलपुर जिले के गोड्डा के लाहाडीह (थाना गंगटी) गांवकी हैं और सालों से अपने दिव्यांग पति की सेवा कर रही थीं। उनके दिव्यांग पति देवेंद्र चौधरी ने बीमारी और विकलांगता से परेशान होकर जहर खा लिया । रविवार को मायागंज अस्पताल में उसकी मौत हो गई। देवेंद्र की मौत के बाद उसका इकलौता बेटा पंकज चौधरी अस्पताल में पिता की लाश छोड़ कर भाग गया।
कमली का बेटा पंकज मानसिक रूप से कमजोर है। बेचारी कमली अकेली पति की लाश को लेकर अस्पताल से पोस्टमार्टम हाउस पहुंची। वहां पति की लाश को कंधा देने वाला कोई नहीं था। उसने एक टेम्पो चालक की मदद से कमली ने पति को कंधा दिया और दाह-संस्कार के लिए लाश को बरारी श्मशान घाट ले गई।
कमली के पास दाह-संस्कार तक के पैसे नहीं थे। उसने श्मशान घाट में घूम-घूम कर लोगों से चंदा मांगा। कमली का दुख सुन कर लोगों ने उसकी मदद की। चंदा जमा कर उसने दाह-संस्कार की वस्तुएं खरीदी और बेटे का धर्म निभाते हुए उसने अपने पति के शव को मुखाग्नि दी। बरारी श्मशान घाट में रविवार को कमली के इस सामाजिक बदलाव की चर्चा हर किसी के जुबान पर थी।
पति की मौत के बाद अकेली कमली का साहस किसी सामाजिक बदलाव से कम नहीं था। अक्सर पति की मौत के बाद पत्नी बेसुध हो जाती है। उनका रो-रो कर बुरा हाल रहता है। लेकिन कमली ने खुद पति के लिए कफन खरीदा। श्मशान में खुद की कलाई की चूड़ी फोड़ी और पति की लाश पर जाकर अपनी मांग का सिंदूर धोया।
कमली का दुख देख श्मशान राजा का दिल भी पसीज गया। बिना मोटी रकम लिये बरारी में किसी भी लाश का दाह-संस्कार नहीं होता है। लेकिन कमली के पति का श्मशान राजा ने मात्र एक रुपए में दाह-संस्कार करवा दिया। वह एक रुपए भी श्मशान राजा नहीं ले रहे थे। लेकिन कमली ने कहा कि बिना श्मशान राजा को दक्षिणा दिये बगैर मेरे पति को गति-मुक्ति नहीं मिलेगी।
पति के लिए एक पत्नी के दायित्व का निर्वहण करने वाली कमली देवी ने आज समाज के लिए और समाज की रूढिवादी सोच के लिए एक उदाहरण पेेश किया है। गरीब और दुखी कमली की कहानी और आज के समाज का बदलता परिवेश बहुत कुछ सोचने के लिए मजबूर कर देता है।