इस साल ,रविवार के दिन चित्रा / स्वाति नक्षत्र , प्रीति योग व तुला राशि में दीवाली पड़ने और बुध -आदित्य योग होने के कारण व्यापार में काफी वृद्धि होगी। व्यापारियों के लिए पूरा साल शुभ एवं लाभकारी रहेगा। इस बार लक्ष्मी पूजन से सभी को धन, वैभव, संपत्ति एवं शिक्षा की दृश्टि से विशेष लाभ प्राप्त होगा।
दीवाली पर पूर्ण कालसर्प दोष होना और सूर्य का नीच राशि तुला में होने तथा राहू का सूर्य की पंचम राशि में होना एक तरह से दीवाली को ग्रहण ग्रस्त कहा जा सकता है जो की अमावस्या रात्रि 11.10 तक रहेगी।
दीवाली पूजन का शुभ समय सायंकाल स्थिर लग्न वृषभ एवं सिंह लग्न माने गए हैं।
प्रातः काल का शुभ समय – 8 बजे से 12.10 तक
शुभ चैघड़िया – 13.22 से 14.54 तक
राहू काल में पूजा न करें- दोपहर 3 से साढ़े 4 बजे तक
प्रदोश काल- 17.37 से 20.14 तक
स्थिर बृष लग्न में घर में पूजा का समयः- सायं 18.30 से 20.25 तक
व्यापारिक संस्थानों में- निशीथ कालः 20.14 से 22.52 तक
कर्क लग्न में – 22.39 से 24.58 तक
महा निशीथ काल- 22.52 से 25.31 तक
दीवाली पर क्या करें ?
* घर की साफ सफाई करें । प्रवेश द्वार पर घी और सिंदूर से स्वास्तिक का चिन्ह बनाएं।
* सायंकाल खीलें ,बतासे,अखरोट,पांच मिठाई,कोई फल पहले मंदिर में दीपक जला कर चढ़ाएं।
* दीवाली वाले दिन मिट्टी या चांदी की लक्ष्मी जी की मूर्ति खरीदें। एक नया झाड़ू लेकर किचन में रखें ।
* लक्ष्मी पूजन करें
* बहियों ,खातों, पुस्तकों,पैन,स्टेशनरी, तराजू ,कंप्यूटर या वो वस्तु जिसे आप रोजगार के लिए प्रयोग करते हैं उनकी पूजा करें।
दीवाली पूजनः की सामग्री एवम सामान्य विधि
रौली, मौली ,सुपारी -5,धूप ,पान पत्ते-5, लौंग,इलायची-5, कमल गट्टे -20, कमल का फूल, फूल माला, खुले फूल,5 फल,5- मिठाई,पानी वाला नारियल, दूध आधा किलो,दही-250 ग्राम,शहद,केसर,लक्ष्मी गणेश जी की फोटो या मूर्ति, आम के पत्ते, कपूर,जनेउ, चंदन, दूब,मिटटी के दिये-12 छोटे एक बड़ा, सरसों का तेल,देसी घी,रुई, ज्योति,पंच मेवा पांच मिठाई,चांदी का सिक्का,अश्ट गंध,माता का श्रृंगार,,चावल सवा किलो,शक्कर 50 ग्राम,खीलें बतासे,मिठाई,मोमबत्ती,गंगाजल,माचिस,शंख,रेशमी वस्त्र,पीली सरसों,सिंदूर,पंचामृत, हवन सामग्री, जौ, तिल, तुलसी की माला, हवन कुंड,आसन, दक्षिणा आदि…..
स्नान करें,पूजा के लिए उत्तर या पूर्व दिशा की ओर मुख रखें और कोई दरी या कंबल बिछा लें । द्वार पर रंगोली बना लें।थाली में अष्ट दल बना के नव ग्रहों की आकृति आटे से बना के ,लक्ष्मी जी की प्रतिमा स्थापित करें।आवाहन करें।अक्षत ,पुष्प ,अश्टगंध युक्त जल अर्पित करें। दिशा रक्षण के लिए बाएं हाथ से पीली सरसों लेके दाएं हाथ में ढक के चारों दिशाओं में फेंकें।
गणेश जी, लक्ष्मी जी व सरस्वती जी की मूर्तियां रखें। चौकी पर लाल वस्त्र बिछा के थाली रखें।क्लश,धूप दीप रखें। क्लश में जल भर कर उसमें गंगाजल , थोड़े से चावल, एक चांदी या प्रचलित सिक्का डाल दें । क्लश पर आम के 5 या 7 पत्ते रखें। पानी वाले नारियल पर 3 या 5 चक्र कलावा या मौली बांधकर क्लश पर रख दें। गणेश जी व लक्ष्मी जी तथा श्रीयंत्र रखें। केसर, चंदन से स्वास्तिक बना के गणेश जी, लक्ष्मी जी व श्रीयंत्र को स्थापित करें। लक्ष्मी जी को गणेश जी के दाएं रखें। गणेश जी पर अक्षत-पुष्प चढ़ाएं। पंचामृत-दूध ,दही,घी,शहद व शक्कर से स्नान कराएं फिर जल डालें। फिर मौली,जल,चंदन,कुंकुम,चावल,पुश्प,दूर्वा,सिंधूर ,रौली इत्र,धूप दीप,मेवे प्रसाद फल पान,सुपारी लौंग ,इलायची व द्रव्य – 11 रुपये बारी बारी चढ़ाएं। दूध,दही,घी,मधु,शक्कर पंचामृत,चंदन,गंगा जल से प्रतिमा को स्नान करवाएं।वस्त्र,उप वस्त्र,आभूशण,चंदन,सिंदूर,कुमकुम,इत्र ,फूल आदि समर्पित करें।लक्ष्मी जी की प्रतिमा के हर अंग को पुष्प से पूजें।
इस मंत्र का जाप करते जाएं-
ओम् श्रीं हृीं श्रीं महालक्ष्म्यै:नमः
तेल का एक चौमुखी दीपक और 21 छोटे दीपक जलाएं। प्रथम मूर्तियों पर तिलक लगा कर फिर अपने व अन्य सदस्यों के कलावा बांधें , तिलक लगाएं।गुरु तथा लक्ष्मी जी का ध्यान करें । मूर्तियों पर चावल, पान, सुपारी, लौंग, फल , कलावा,फल , मिठाई, मेवे आदि चढ़ाएं। अक्षत-पुश्प दाहिने हाथ में लेके पृथ्वी तथा नव ग्रहों- सूर्य, चंद्र, मंगल, बुध, गुरु, शुक्र, शनि, राहु, केतु, कुबेर देवता, स्थान देवता, नगर खेड़ा वास्तु देवता , कुल देवी या देवता का आवाहन करें। हाथ जोड़ के गणपति व अन्य देवी देवताओं को नमस्कार करें। संकल्प लें।
कुबेर पूजन
तिजोरी,कैश बाक्स,लाकर आदि पर स्वास्तिक चिन्ह बना के कुबेर को नमस्कार करें और धन की कामना करें।
तुला ,मानक,कंप्यूटर , नोट काउंटिंग मशीन पर सिंदूर से स्वास्तिक बनाएं , शुभ लाभ लिखें ,मौली लपेटें, पूजन करें
श्री यंत्र अभिमंत्रण , किसी यंत्र का निर्माण व लेखनी पूजन विशेष मुहूर्त में करें
हवन करें – पूजा के पशचात् हवन एवं आरती कर सकते हैं।
विशेष दीवाली पर जलता हुआ दीपक भूल से भी न बुझाएं।
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दीवाली के दिन विभिन्न समस्याओं के लिए ये प्रयोग भी कर सकते हैं-
अपना पर्स बदल लें। उसमें लाल रंग के लिफाफे में एक कागज पर अपनी मनोकामना जैसे विवाह , नौकरी, धनागमन आदि लिख कर रखें ।
1.दद्रिता निवारणः- 21 काले,अभिमंत्रित हकीक जमीन में गाड़ दें।-शनिवार
2.आर्थिक उन्नतिः- 27 पीले अभिमंत्रित हकीक, घर के मंदिर में पीले कपड़े में बांध के रखें,-वीरवार
3.विजय ,परीक्षा,प्रतियोगिता ,कोर्ट केस: 11 हरे हकीक दुर्गा /माता के मंदिर में रख आएं ।-मंगलवार या बुधवार
4- घर क्लेश:-दो नीले हकीक घर के किसी कच्चे भाग में दबा दें।
5-धन वृद्धि:-एक लाल हकीक तिजोरी में रखें।
6.- बच्चे को नजर /डरना- एक नीला हकीक चांदी के लाकेट में बनवा के पहनाएं-शनिवार
7.- संतान की सुख समृद्धि- 19 पीले हकीक उजाड़ जगह फेंक दें ।
कुछ अन्य उपाय व मंत्र
1-ऋण मुक्तिः स्फटिक की माला से इस मंत्र का जाप करें।
2-ओम् नमो हृीं श्रीं क्रीं श्रीं क्लीं श्रीं लक्ष्मी मम गृहे धनं चिन्ता दूर करोति स्वाहा !!
3-विद्या हेतुः ओम् ऐं क्रीं ऐं ओम् का 21 बार जाप करें ।
4-नौकरी प्राप्तिः ओम् हृीं कार्य सिद्धि ओम नमः का जाप पंचपर्व में करें ।
5-शत्रु शमन के लिए: ओम क्लीं हृीं ऐं शत्रुनाशाय फट् का तीन दिन जाप एक एक माला करें।
6-कोर्ट केसःओम् हूं हूं शत्रुस्तंभनं ठः ठः स्वाहा का 31 बार जाप करें ।
दीवाली पर कुछ विशेष उपाय
1-ऋण न लौटाने वाले का नाम कोयले की राख या काजल से भोजपत्र पर लिख कर एक पत्थर के नीचे दबा दें।
2-धन वृद्धि हेतु ,चांदी की गोल डिब्बी में , शहद व नागकेसर भरकर धन स्थान पर रख दें।
3-घर की नजर उतारने के लिए,एक नारियल और खीर हाथ में लेकर पूरे घर की परिक्रमा करके प्रवेश द्वार पर तोड़ कर खीर वहीं रख दें।