सरकार ने राफेल पर फैसले में टाइपिंग की त्रुटियों को दूर करने के लिए सुप्रीम कोर्ट में हलफनामा दाखिल किया है। वहीं विपक्ष इसे मुद्दे पर अटॉर्नी जनरल के खिलाफ विशेषाधिकार हनन प्रस्ताव लाने की बात कर रहा है। आरजेडी सांसद मनोज झा ने कहा है कि वह अटॉर्नी जनरल के खिलाफ विशेषाधिकार हनन प्रस्ताव लेकर आएंगे। दूसरी तरफ भाजपा सांसद सुब्रमण्यम स्वामी ने कहा है कि ये बात शर्मिंदा करती है कि अंग्रेजी में शुद्ध ड्राफ्ट भी तैयार नहीं कर सकते। 
सुब्रमण्यम स्वामी का कहना है, ‘मीडिया के अनुसार, अटॉर्नी जनरल ने कहा है कि उन्होंने ऐफिडेविट तैयार नहीं किया है। तो किसने ऐफिडेविट तैयार किया? मुझे लगता है कि पीएम को ये पता करना चाहिए। यह हमें शर्मिंदा करता है कि क्या हम अंग्रेजी में शुद्ध ड्राफ्ट भी तैयार नहीं कर सकते। इसे हिंदी में तैयार किया जा सकता था।’
उन्होंने आगे कहा कि ‘जब भी ऐफिडेविट सील कवर में सौंपा जाता है, तो सवाल उठते ही हैं, इस बार उन्होंने फैसले में सौंपे जाने का खुलासा किया, नहीं तो हमें पता ही नहीं चलता। अगर जज इसपर अपना निर्णय लेते तो ये फैसले को प्रभावित करता।’
माकपा के महासचिव सीताराम येचुरी ने सरकार पर निशाना साधते हुए कहा कि अब यह स्पष्ट है कि सरकार ने सुप्रीम कोर्ट को तथ्यात्मक रूप से गलत जानकारी दी। कोर्ट ने इन्हीं तथ्यों के आधार पर फैसले दिए। इस मुद्दे को न्यायपालिका के बजाय संसद में उठाया जाना चाहिए था। यह संवैधानिक संस्थानों का उल्लंघन है। इन सभी सवालों को जवाब केवल अटॉर्नी जनरल दे सकते हैं। उन्हें संसद द्वारा बुलाया जाना चाहिए।
सरकार के अनुसार सीलबंद लिफाफे में अदालत को बताया गया था कि राफेल की कीमत की पूरी जानकारी सीएजी को दे दी गई है और सामान्य प्रक्रिया के तहत सीएजी अपनी रिपोर्ट पीएसी को सौंपेगा, जहां उसकी पड़ताल की जाएगी।
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