नवम्बर महीने की शुरुआत हो चुकी है और अब माहौल भी ठंडा हो गया है।लेकिन सर्दियों का गुलाबी मौसम अपने साथ सेहत से जुड़ी कई समस्याएं भी साथ लेकर आता है। इस दौरान नाक बहना, लगातार छींके आना, गले में खराश, सीने में जकड़न जैसी स्वास्थ्य समस्याएं आम हैं। इसलिए इस मौसम में आपको अपनी सेहत को लेकर थोड़ा सा सावधान रहने की जरूरत है। अगर आप डायबीटीज या हाई ब्लड प्रेशर के मरीज हैं, तो इस मौसम में आपको अपने दिल का खास ध्यान रखना होगा। सर्दियों के दौरान मधुमेह के मरीजों में दिल और मस्तिष्क आघात का खतरा बढ़ जाता है। यह भी ध्यान रखें कि सर्दियों में रक्तवाहिनी सिकुड़ जाती हैं और रक्तचाप भी बढ़ जाता है।डायबीटीज के मरीज़ों को खास तौर पर अपने पैरों का विशेष ध्यान रखने की ज़रुरत है इस मौसम में खासकर उन्हें साफ़ मोज़े पहन के रहना चाहिए।
इतना ही नहीं बल्कि इस मौसम में बुखार और संक्रमण काफी तेजी से फैलता है, इसलिए बेहतर है कि अपनी रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाने के लिए आप पहले से ही एहतियात बरतें। अपने खाने में पपीता, कद्दू, गाजर, टमाटर, पालक, अमरूद जैसी मौसमी सब्जियों और फलों को जरूर शामिल करें। इनसे आपके शरीर का तापमान भी मौसम के मुताबिक गर्म रहेगा। खुद को संक्रमण से बचाने के लिए एक और बेहतर उपाय यह है कि आप रोज सुबह एक लौंग खा लें।
कभी-कभी कुछ लोग अत्यधिक ठंड के कारण शीतदंश का शिकार हो जाते हैं, जिससे त्वचा सख्त या सुन्न हो जाती है। इसलिए अपने को ठंड के प्रकोप से बचाने के लिए पर्याप्त गर्म कपड़े जरूर पहनें। अगर शरीर का कोई हिस्सा सुन्न पड़ जाए, तो उसे कुछ देर तक गुनगुने पानी में रखने से आराम हो सकता है। एक बात का खास तौर पर ध्यान रखें कि शराब का सेवन करने के बाद ठंड में बाहर न निकलें। इससे आपकी रक्तवाहिनी सिकुड़ सकती हैं, जिससे फेफड़ों की समस्या हो सकती है।
सर्दी-खांसी और बुखार के 100 से ज्यादा वायरस होते हैं। अगर एक बार आपकी नाक या गले से यह संक्रमण शरीर में प्रवेश कर जाए, तो यह लगातार बढ़ता ही रहता है। इसके लक्षणों में गले में खराश, छींक, नाक और आंखों से पानी बहना, शरीर में दर्द, हल्का बुखार, बंद नाक, खांसी आदि इसके लक्षण हैं। शरीर में सर्दी का यह सिलसिला एक या दो हफ्ते तक चलता है। इसके मुकाबले का बेहतर तरीका यही है कि आप ज्यादा से ज्यादा आराम करें और जितना हो सके जूस या अन्य दव भरपूर मात्रा में लें।
संक्रमण से लड़ने का सबसे अच्छा तरीका यही है कि आप पौष्टिक खाना खाकर अपनी रोग प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ाएं। साथ ही भरपूर नींद लें और व्यायाम करें। यह भी जरूरी है कि इस संक्रमण के रोगियों के प्रत्यक्ष संक्रमण में आने से जहां तक हो सके, खुद को बचाएं। सर्दियों में यह संक्रमण काफी तेजी से फैलता है, इसलिए जरूरी है कि ऐसे किसी भी रोगी के प्रत्यक्ष संपर्क में न आएं। अगर आप इस संक्रमण से पीड़ित हैं, तो भीड़भाड़ वाली जगहों पर जाने से बचें और हमेशा खांसते या छींकते वक्त मुंह पर रूमाल जरूर रख लें।
सर्दी के मौसम में बीमारियों से बचाव के लिए हर उम्र के लोगों को खास एहतियात बरतने की जरूरत होती है। इस मौसम में छोटे बच्चों को बाहर की ठंडी हवा के बचाकर रखना चाहिए। बच्चों को नहलाने के बाद उन्हें तुरंत गर्म कपड़े पहना दें, क्योंकि अगर एक बार उनके शरीर में ठंड बैठ गई, तो उन्हें ठीक होने में वक्त लग सकता है। वहीं, अस्थमा के मरीजों को भी घर और बाहर मौसम के अचानक बदलावों से सावधान रहना चाहिए। खास तौर पर सुबह के वक्त गर्म बिस्तर से उठकर एकदम खुली हवा में न जाएं, बल्कि थोड़ा इंतजार करें। डॉक्टर की सलाह के मुताबिक अपने इनहेलर और नैजल स्पे आदि का इस्तेमाल भी करते रहें।
डॉक्टरों के मुताबिक, सर्दी सबसे ज्यादा सिर, कान और पैरों के जरिए शरीर में प्रवेश करती है। इसलिए अपने शरीर के इन हिस्सों को ठंडी हवाओं से बचाकर रखें। शरीर के रक्त संचार को सही स्तर पर रखने के लिए हर रोज व्यायाम करना न भूलें। आप बिना पैसा खर्च किए घर में रहकर ही 15-20 तक कुछ ऐसी एक्सरसाइज कर सकते हैं, जिन्हें करने पर शरीर से थोड़ा-बहुत पसीना जरूर निकले।