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Indian Prime Minister Narendra Modi speaks at the launch of a campaign aimed at opening millions of accounts for poor Indians in New Delhi, India, Thursday, Aug. 28, 2014. Modi said the campaign would give the poor "renewed strength to fight poverty." The goal is to sign up 150 million people by 2018. About half of India's 1.2 billion people lack bank accounts. (AP Photo/Saurabh Das)

सार्थक अधिवेशन के अहम संदेश

Indian Prime Minister Narendra Modi speaks at the launch of a campaign aimed at opening millions of accounts for poor Indians in New Delhi, India, Thursday, Aug. 28, 2014. Modi said the campaign would give the poor "renewed strength to fight poverty." The goal is to sign up 150 million people by 2018. About half of India's 1.2 billion people lack bank accounts. (AP Photo/Saurabh Das)

केरल का कोंझिकोड आधुनिक भारत का नैमिषारण्य बनकर उभरा है। ऐसा इसलिए है कि एकात्म मानववाद के प्रणेता पं. दीनदयाल उपाध्याय की जन्मशती यहां मनाई गई। इस अवसर पर भाजपा का तीन दिवसीय राष्ट्रीय अधिवेशन हुआ, जिसमें देश काल परिस्थति पर तो विमर्श हुआ ही, समस्याओं की तह में जाने और उसके समाधान के स्वरूप पर भी मंथन हुआ। इस लिहाज से देखा जाए तो यह भाजपा ही नहीं , राष्ट्र के लिए किसी बड़ी उपलब्धि  से कम नहीं । नैमिषारण्य में भी कुछ ऐसा ही हुआ था । यह और बात है कि उस समय राजनीतिक दलों का वजूद नहीं था। साधु-संत ही उस समय के नेता हुआ करते थे। उस समय की समस्या थी कि कलियुग आ रहा है , इसके प्रभाव से कैसे बचा जाए और आज की समस्या यह है कि घोर कलियुग चल रहा है अपने स्वार्थ के लिए व्यक्ति कुछ भी कर रहा है। अबोध बालिकाओं के साथ भी दुष्कर्म की घटनाएं हो रही हैं। व्यक्ति अपने दायित्वबोध से भटक गया है। वह बिना कुछ किए ही अधिकार चाहता है और सभी दुखों का मूल भी यही है। उरी में सैन्य शिविर पर हुए आतंकी हमले के बाद पूरे देश की नजर भाजपा के इस अधिवेशन पर थी खासकर प्रधानमंत्री के उस भाषण पर जिससे पाकिस्तान पर सख्त कार्रवाई की कोई  संभावना या भूमिका बनती हो। लेकिन प्रधानमंत्री ने केवल इतना कहा कि  उरी में हुए आतंकी हमले के दोषी बख्शे नहीं जाएंगे।

लेकिन दोषियों से निपटने का तौर तरीका क्या होगा, उसका समय क्या होगा, यह बताने -जताने में उन्होंने कोई रुचि नहीं ली और आतंकवाद के मूल पर सीधा प्रहार किया। उन्होंने पाकिस्तान को चुनौती दी कि वह भारत से गरीबी, अशिक्षा, कुपोषण और स्वास्थ्य समस्याओं के क्षेत्र में प्रतिस्पर्धात्मक जंग लड़े।  उनके इस विचार का मायावती ने प्रतिवाद भी किया है और उन पर देश को गुमराह करने का आरोप भी लगाया है। जनभावना तो यही है कि पाकिस्तान को ऐसा सबक सिखाया जाना चाहिए कि वह भारत के किसी भी भूभाग में हमले करना तो दूर, उस पर कुदृष्टि डालने से पूर्व भी सौ बार सोचे ।  मोदी के चिंतन में इसका अभाव जरूर दिखता है लेकिन कूटनीतिक लिहाज से देखें तो उनके इस वक्तव्य  ने भारत को दुनिया की नजर में बहुत बड़ा बना दिया है।  बकौल मोदी विकास ही किसी समस्या का समाधान है और इस बात को वह अपने प्रधानमंत्री बनने के दिन से ही कह रहे हैं ।

प़ं  दीनदयाल उपाध्याय के हवाले से उन्होने मुसलमानों को तिरस्कृत न करने की बात कही है। सबका साथ – सबका विकास की उनकी अवधारणा पर इस अधिवेशन में मुहर लगी है। इस साल को गरीबी उन्मूलन वर्ष के रूप में मनाने और सभी को विकास के समान अवसर देने का संकल्प यह बताता है कि भाजपा दीपक से कमल तक के अपने सफर में सोच के धरातल पर भी बहुत आगे बढ़ गई है।  प्रधानमंत्री ने एक बार फिर देश के मुसलमानों को विश्वास में लेने का प्रयास किया है और कहा है कि मुसलमान वोट की मंडी नहीं हैं । वह इस देश के नागरिक हैं उन्होंने भी विकास करने का पूरा हक है। प्रधानमंत्री के यह विचार भयग्रस्त मुस्लिम  समाज को आश्वसित तो देते ही हैं। अगर हिन्दू मुस्लिम के बीच की कड़वाहट समाप्त हो जाए तो पाकिस्तान को भारत के किसी भी इलाके में अपनी दाल गलाने का मौका नहीं मिलेगा। यह सच है कि पाकिस्तान ने जघन्य अपराध किया है और उसे इसकी सजा मिलनी चाहिए। सेना के अधिकारियों ने पहले ही कह दिया है कि पाकिस्तान को  कब, कहां और किस तरह की सजा देनी है, यह हम तय करेंगे। इसके बाद कहने के लिए कुछ भी बचता नहीं है। और अगर युद्ध ही होना है तो उसकी अपनी रणनीति होती है, गोपनीयता होती है। चिल्लाकर तो नहीं बताया जा सकता है कि हम कब युद्ध करेंगे? ऐसा पूछना भी बुद्धिमत्ता नहीं है। पाकिस्तान को पूरी दुनिया में अलग-थलग कर देना भी एक तरह का दंड ही है

—— सियाराम पांडे ‘शांत’

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