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सार्वजनिक उपक्रमों में दूसरी विनिवेश सूची बना रहा नीति आयोग

niनई दिल्ली। सार्वजनिक उपक्रमों को बेचने या बंद करने के बारे में उनकी पहली सूची सरकार को सौंपने के बाद नीति आयोग अब विनिवेश कार्यक्रम के लिए एक और सूची तैयार कर रहा है।नीति आयोग के चेयरमैन अरविंद पनगढिय़ा ने एक कार्यक्रम में कहा, ‘‘हम सार्वजनिक उपक्रमों को बंद करने और उनके विनिवेश या चुनिंदा भागीदार को बेचने के बारे में सरकार को पहली रिपोर्ट दे चुके हैं। हमने सरकार को कई नाम सुझाए हैं लेकिन उनकी संख्या बता पाना थोड़ा मुश्किल है।’’ उन्होंने कहा कि हम इस पर लगातार काम कर रहे हैं और विनिवेश के लिए दूसरी सूची बना रहे हैं। आयोग ने 2 अलग-अलग सूची दी हैं जिनमें से एक में घाटे में चल रहे और खस्ता हाल एेसे सार्वजनिक उपक्रमों के नाम जिन्हें बंद किया जा सकता है। दूसरी सूची एेसे उपक्रमों की है जिनमें सरकार अपनी हिस्सेदारी का विनिवेश कर सकती है। किसी उपक्रम में रणनीतिक बिक्री का अर्थ है कि उसमें सरकार अपनी हिस्सेदारी घटा कर 49 प्रतिशत या उससे कम करेगी और उसका प्रबंध चुनिंदा भागीदार को हस्तांतरित किया जाएगा। सरकार ने वर्तमान वित्त वर्ष के लिए 56,500 करोड़ रुपए का विनिवेश लक्ष्य तय किया है। इसमें से 36,000 करोड़ रुपए सार्वजनिक उपक्रमों में अल्पांश हिस्सेदारी बेचने और 20,500 करोड़ रुपए रणनीतिक बिक्री से आने हैं। सरकार ने चालू वित्त वर्ष के विनिवेश कार्यक्रम की शुरूआत एन.एच.पी.सी. में 11.36 प्रतिशत हिस्सेदारी बेचकर की। इस प्रकिया से उसे 2,700 करोड़ रुपए मिले। इस समय 15 सार्वजनिक उपक्रमों में हिस्सेदारी की बिक्री का कार्यक्रम है। इनमें कोल इंडिया, एन.एम.डी.सी., मॉइल, एम.एम.टी.सी., नैशनल फर्टिलाइजर्स, नाल्को और भारत इलैक्ट्रॉनिक्स शामिल हैं। हाल ही में भारी उद्योग मंत्री अनंत गीते ने कहा था कि उनका मंत्रालय मंत्रिमंडल से स्कूटर्स इंडिया में सरकार की हिस्सेदारी बेचने की सैद्धांतिक मंजूरी देने की मांग करेगा। वित्त वर्ष 2015-16 के दौरान सरकार ने विनिवेश के माध्यम से 25,312 करोड़ रुपए जुटाए थे जब कि बाजट में इस मद से 69,500 करोड़ रुपए की प्राप्ति का लक्ष्य था। इसी तरह वित्त वर्ष 2014-15 में सरकार ने इस मद में 24,500 करोड़ रुपए जुटाए थे।

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