नई दिल्ली। दिल्ली उच्च न्यायालय ने सरकार के बंदर, नीलगांय, जंगली सूअरों को उत्तराखण्ड, बिहार और हिमाचल प्रदेश में मारे जाने की अनुमति देने के खिलाफ दायर याचिका को खारिज कर दिया। सरकार का पक्ष था कि इन राज्यों में यह जानवर मानव आबादी के लिए खतरा बन गये हैं। शुक्रवार को सुनवाई के दौरान केंद्र सरकार ने न्यायालय में कहा कि उत्तराखंड, बिहार और हिमाचल में जंगली सुअर, नील गाय और बंदरों को मारने के आदेश इसलिये दिये गये हैं कि यह जानवर लोगों के साथ ही उनकी फसलों के लिए भी मुसीबत बन रहे हैं। याचिका पर सुनवाई करते हुए दिल्ली उच्च न्यायालय ने सरकार के पक्ष को सही ठहराया।
वहीं इसके खिलाफ दायर याचिका में कहा गया कि जिन जंगली जानवरों को मारने के आदेश दिये गये हैं वह वन्य संरक्षित जीव हैं और इन्हें केवल फसलों की सुरक्षा के नाम पर मारा जा रहा है। पिछली सुनवाई में न्यायालय ने केंद्र सरकार, पर्यावरण, वन एवं जलवायु परिवर्तन मंत्रालय से इस पर जवाब मांगा था। सरकार का पक्ष सुनने के बाद न्यायालय ने फैसले को सही ठहराते हुए याचिका खारिज कर दी। बता दें कि बीते छह महीनों में बिहार में 500 से ज्यादा नील गायों को मारा जा चुका है जबकि उत्तराखंड में सुअरों और हिमाचल में बंदरों को मारा जा रहा है। पिछले महीने उच्चतम न्यायालयन ने भी जानवर को मारे जाने पर रोक लगाने से इंकार कर दिया था। सरकारी वकील रंजीत कुमार ने शीर्ष न्यायालय में कहा था कि जानवरों को जंगल में नहीं मारा जा रहा बल्कि उन्हें वहां मारा जा रहा है जहां वह आबादी के लिए खतरा बन गये हैं।