“लखनऊ में 28 सहायक लेखाकारों को फर्जी डिग्री के कारण बर्खास्त किया गया। यूपी अधिनस्थ सेवा चयन आयोग की 2016 की ऑडिटर परीक्षा में फर्जी दस्तावेज़ लगाने पर 32 अभ्यर्थियों का चयन रद्द, जानें पूरी खबर।”
लखनऊ। उत्तर प्रदेश में एक बड़े फर्जीवाड़े का पर्दाफाश हुआ है, जिसमें 28 सहायक लेखाकारों को फर्जी डिग्री और दस्तावेजों के आधार पर भर्ती किया गया था। इन अभ्यर्थियों का चयन यूपी अधिनस्थ सेवा चयन आयोग (UPSSSC) की 2016 में आयोजित ऑडिटर परीक्षा के दौरान हुआ था, जब उन्होंने फर्जी दस्तावेज़ों का उपयोग किया। इस मामले में यूपीएसएसएससी ने जांच के बाद इन अभ्यर्थियों को बर्खास्त करने के साथ ही 32 अन्य अभ्यर्थियों के चयन को भी रद्द कर दिया है।
फर्जी दस्तावेज़ों के आधार पर सहायक लेखाकार की भर्ती:
यूपीएसएसएससी की 2016 की ऑडिटर परीक्षा में इन सहायक लेखाकारों ने अपने शैक्षिक दस्तावेज़ों में गड़बड़ी की थी। सत्यापन के दौरान यह पाया गया कि इन अभ्यर्थियों ने फर्जी डिग्रियां और ओ लेवल सर्टिफिकेट जैसे दस्तावेज़ प्रस्तुत किए थे। इस पर कार्रवाई करते हुए सभी चयनित सहायक लेखाकारों को नौकरी से बर्खास्त कर दिया गया।
चयन रद्द होने वाले 32 अभ्यर्थियों पर मुकदमा दर्ज:
फर्जी दस्तावेज़ के मामले में चयन रद्द किए गए 32 अभ्यर्थियों के खिलाफ लखनऊ के महानगर कोतवाली में मुकदमा दर्ज किया गया है। यह कार्यवाही फर्जीवाड़े के खिलाफ यूपी सरकार की सख्त नीति के तहत की गई है। इन अभ्यर्थियों ने शैक्षिक प्रमाणपत्रों में गड़बड़ी कर सरकारी नौकरी पाने की कोशिश की थी।
ओ लेवल सर्टिफिकेट की फर्जीवाड़ा:
ओ लेवल सर्टिफिकेट को लेकर भी जांच की गई और यह पाया गया कि कई अभ्यर्थियों ने फर्जी ओ लेवल सर्टिफिकेट पेश किए थे। यह सर्टिफिकेट बिना उचित सत्यापन के दस्तावेज़ों में शामिल किए गए थे, जिससे उनके चयन पर सवाल उठने लगे थे।
चार अभ्यर्थियों का नियुक्ति पत्र रोका गया:
इस मामले में चार अभ्यर्थियों के नियुक्ति पत्र को शैक्षिक दस्तावेजों में गड़बड़ी पाई जाने पर रोक दिया गया था। इन अभ्यर्थियों ने भर्ती प्रक्रिया के दौरान गलत जानकारी दी थी, जिसके बाद उन्हें नियुक्ति देने से मना कर दिया गया।
फर्जीवाड़ा पर सख्त कार्रवाई:
यूपीएसएसएससी द्वारा इस मामले में सख्त कार्रवाई की गई है। आयोग ने सभी अभ्यर्थियों की भर्ती को रद्द करते हुए विभाग को निर्देश दिए हैं कि भविष्य में ऐसे मामलों की सख्ती से निगरानी की जाए। यूपी सरकार की इस सख्त नीति से यह संदेश जाता है कि किसी भी तरह के फर्जीवाड़े को बर्दाश्त नहीं किया जाएगा और ऐसे मामलों में दोषियों के खिलाफ सख्त कानूनी कार्रवाई की जाएगी।
फर्जी दस्तावेज़ों के आधार पर सरकारी नौकरी पाने की कोशिश करने वाले अभ्यर्थियों को अब इसका परिणाम भुगतना पड़ रहा है। यूपी सरकार की यह कड़ी कार्रवाई यह सुनिश्चित करेगी कि भविष्य में इस तरह के फर्जीवाड़े की घटनाओं को रोका जा सके। यह कदम सरकारी भर्ती प्रणाली में पारदर्शिता और निष्पक्षता को बढ़ावा देगा।
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विशेष संवाददाता – मनोज शुक्ल