विशेष संवाददाता – मनोज शुक्ल
“उत्तर प्रदेश में भारतीय जनता पार्टी के नए प्रदेश अध्यक्ष के चयन को लेकर चर्चाएं तेज हो गई हैं। क्या दलित, पिछड़े या ब्राह्मण चेहरे को पार्टी चुनेंगी? जानिए, नेताओं के नाम, जातिगत समीकरण और बीजेपी की आगामी रणनीति के बारे में।”
लखनऊ। उत्तर प्रदेश में भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) के प्रदेश अध्यक्ष के चयन को लेकर गतिविधियां तेज हो गई हैं। पार्टी के राष्ट्रीय महामंत्री विनोद तावड़े को इस जिम्मेदारी के तहत उत्तर प्रदेश भेजा गया है, जहां उन्होंने प्रदेश के प्रमुख नेताओं से मुलाकात की। इस मुलाकात में मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ, उपमुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्य, डिप्टी सीएम ब्रजेश पाठक, और वर्तमान प्रदेश अध्यक्ष भूपेंद्र सिंह चौधरी के साथ-साथ कई अन्य नेताओं से भी चर्चा की। तावड़े ने इन चर्चाओं के बाद दिल्ली में पार्टी के केंद्रीय नेतृत्व को अपनी रिपोर्ट सौंपी है, जिसके आधार पर प्रदेश अध्यक्ष के नाम का ऐलान किया जाएगा।

बीजेपी का अगला प्रदेश अध्यक्ष कौन होगा, यह सवाल इन दिनों प्रदेश की राजनीति का केंद्र बन चुका है। विभिन्न सूत्रों के मुताबिक, पार्टी अपने अगले प्रदेश अध्यक्ष के तौर पर किसी दलित, पिछड़े या ब्राह्मण नेता को चुन सकती है। हालाँकि, दलित-पिछड़े और ब्राह्मण नेताओं के बीच प्रतिस्पर्धा काफी दिलचस्प है। आइए जानते हैं कि कौन से चेहरे इस दौड़ में शामिल हैं और उनका चुनाव बीजेपी के लिए क्यों महत्वपूर्ण हो सकता है।
दलित और पिछड़े वर्ग के चेहरों की चर्चा
उत्तर प्रदेश में अगले प्रदेश अध्यक्ष के लिए दलित और पिछड़े वर्ग के नेताओं के नाम प्रमुखता से सामने आ रहे हैं। पिछड़े वर्ग से अगर किसी नेता को प्रदेश अध्यक्ष चुना जाता है, तो प्रमुख नाम जल शक्ति मंत्री स्वतंत्र देव सिंह का लिया जा रहा है। वे पहले भी 2022 में प्रदेश अध्यक्ष के रूप में कार्य कर चुके हैं और उनका नेतृत्व अनुभव इस समय पार्टी के लिए फायदेमंद हो सकता है।
स्वतंत्र देव सिंह के अलावा, उपमुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्य का भी नाम चर्चा में है। मौर्य का पिछड़ा वर्ग से संबंध है, और वे बीजेपी के एक मजबूत नेता माने जाते हैं। उनके नाम पर केंद्रीय नेतृत्व को भी विचार-विमर्श करना पड़ सकता है। हालांकि, केशव मौर्य का नाम लेकर पार्टी के भीतर कुछ मतभेद हो सकते हैं, खासकर क्योंकि उनका नाम उपमुख्यमंत्री के रूप में पहले से ही एक महत्वपूर्ण भूमिका में है।

इसके अलावा, अमरपाल मौर्य, जो कि राज्यसभा सांसद हैं, उनके नाम पर भी चर्चा हो रही है। वे यूपी बीजेपी के प्रदेश महामंत्री रह चुके हैं और उनके पास संगठनात्मक अनुभव भी है। इसी तरह, बाबूराम निषाद का नाम भी सामने आया है, जो कि दलित वर्ग से आते हैं और पार्टी के लिए एक मजबूत उम्मीदवार माने जाते हैं।
ब्राह्मण नेताओं की भी हो रही चर्चा
हालांकि बीजेपी के लिए दलित और पिछड़े वर्ग से अध्यक्ष का चयन अधिक प्राथमिकता में है, फिर भी ब्राह्मण नेताओं के बारे में भी चर्चा हो रही है। पार्टी के अंदर यह माना जा रहा है कि ब्राह्मण समुदाय को संतुष्ट करने के लिए इस बार एक ब्राह्मण चेहरे को प्रदेश अध्यक्ष बनाया जा सकता है। हालांकि, इसकी संभावना बहुत कम बताई जा रही है, फिर भी कुछ नेताओं ने इसका समर्थन किया है।
इस संदर्भ में डॉ. दिनेश शर्मा, जो कि राज्यसभा सांसद और पूर्व उपमुख्यमंत्री रह चुके हैं, का नाम प्रमुख रूप से लिया जा रहा है। उनकी पार्टी में महत्वपूर्ण भूमिका रही है, और वे ब्राह्मण समुदाय से आते हैं, जो बीजेपी के लिए एक महत्वपूर्ण वोट बैंक है। हालांकि, इस संभावना को कम बताया जा रहा है, क्योंकि पार्टी को इस बार जातिगत समीकरणों के लिहाज से दलित और पिछड़े वर्ग के नेताओं पर ज्यादा ध्यान देने की आवश्यकता है।
भूपेंद्र चौधरी का भविष्य
अगर मौजूदा प्रदेश अध्यक्ष भूपेंद्र चौधरी की बात करें, तो उनका कार्यकाल 2025 में समाप्त हो रहा है। हालांकि, चौधरी को 2022 में बीजेपी ने पश्चिम उत्तर प्रदेश में जाट समुदाय को साधने के लिए प्रदेश अध्यक्ष बनाया था, लेकिन अब जब बीजेपी ने राष्ट्रीय लोक दल (RLD) के साथ गठबंधन किया है, तो उनकी फिर से अध्यक्ष पद पर वापसी की संभावना कम है। हालांकि, चौधरी का कार्यकाल अब तक स्थिर था और उन्होंने संगठनात्मक तौर पर अच्छा काम किया, लेकिन पार्टी की भविष्यवाणी इस बार नए चेहरे पर हो सकती है।

केंद्रीय नेतृत्व की रणनीति और जातिगत समीकरण
उत्तर प्रदेश बीजेपी के प्रदेश अध्यक्ष का चुनाव केवल पार्टी के लिए ही नहीं, बल्कि आगामी विधानसभा और लोकसभा चुनावों की रणनीति को लेकर भी बेहद महत्वपूर्ण हो सकता है। बीजेपी के लिए जातिगत समीकरणों का ध्यान रखना आवश्यक है, क्योंकि उत्तर प्रदेश में जातिवाद की राजनीति का बड़ा प्रभाव है। पार्टी चाहेगी कि वह जातिगत आधार पर सभी समुदायों का समर्थन हासिल कर सके, खासकर आगामी 2024 के लोकसभा चुनावों के मद्देनजर।
केंद्रीय नेतृत्व ने यह तय किया है कि वह जिस जाति के नेता को राष्ट्रीय अध्यक्ष बनाएगा, उस जाति का प्रदेश अध्यक्ष नहीं होगा। इस कारण से बीजेपी को प्रदेश अध्यक्ष के चयन में सावधानी बरतनी पड़ेगी ताकि हर समुदाय का प्रतिनिधित्व सुनिश्चित किया जा सके।

अंतिम फैसला: कौन होगा यूपी का अगला बीजेपी प्रदेश अध्यक्ष?
बीजेपी का प्रदेश अध्यक्ष कौन होगा, यह फैसला जल्द ही लिया जा सकता है। सभी की निगाहें केंद्रीय नेतृत्व पर हैं, जो जल्द ही प्रदेश अध्यक्ष के नाम की घोषणा करेगा। इस चुनाव के परिणाम से न केवल पार्टी का संगठनात्मक ढांचा प्रभावित होगा, बल्कि यह उत्तर प्रदेश की आगामी राजनीति में एक अहम मोड़ भी साबित हो सकता है।
इस बीच, पार्टी के भीतर चर्चाएं जारी हैं, और उम्मीद जताई जा रही है कि केंद्रीय नेतृत्व इन चर्चाओं के आधार पर एक रणनीतिक और प्रभावी निर्णय लेगा, जो यूपी की राजनीति में बीजेपी की पकड़ को मजबूत करेगा।
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