रायबरेली प्रयागराज फोरलेन के निर्माण को महज चार महीने ही बीते हैं, लेकिन इसकी हालत ने प्रशासन और ठेकेदारों की कार्यशैली पर गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं। रायबरेली प्रयागराज फोरलेन, जिसे हरियाणा की कालूवाला कंस्ट्रक्शन प्राइवेट लिमिटेड (K.P.C.L.) ने बनाया था, अब जगह-जगह से उधड़ने लगी है। इस परियोजना के लिए 960 करोड़ रुपए की भारी-भरकम राशि स्वीकृत की गई थी, लेकिन सड़क की वर्तमान स्थिति से निर्माण कार्य में भारी भ्रष्टाचार की बू आ रही है।
ग्रामीणों और स्थानीय लोगों का आरोप है कि रातों-रात फोरलेन बनाने की जल्दबाजी में गुणवत्ता से समझौता किया गया। एनएचएआई को जनवरी में सौंपे गए इस प्रोजेक्ट में अब तक कई जगहों पर दरारें, गड्ढे और पैचवर्क देखने को मिल रहा है। महज चार महीनों में ही रायबरेली प्रयागराज फोरलेन के कई हिस्से जवाब दे चुके हैं।
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स्थानीय नागरिकों बहादुर सिंह, दिनेश यादव एडवोकेट, संतोष सिंह, अशोक सिंह, इंद्र बहादुर और अन्य ने इस पर सवाल उठाए हैं। ग्रामीणों का कहना है कि सड़क निर्माण में मानकविहीन सामग्री का प्रयोग किया गया है। एनएचएआई-30 पर कुचरिया और जमालपुर के पास ऊंचाहार क्षेत्र में भी सड़क की हालत खराब बताई जा रही है। हालांकि कंपनी को पांच साल तक मरम्मत की जिम्मेदारी दी गई है, लेकिन बारिश शुरू होने से पहले ही फोरलेन की हालत चिंता का विषय बन गई है।
इस बीच, केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी को भेजी गई शिकायत में सड़क निर्माण में हुए भ्रष्टाचार की सीबीआई स्तर की जांच की मांग की गई है। पत्र में कहा गया है कि कालूवाला कंस्ट्रक्शन प्रा. लि. ने फोरलेन निर्माण में निम्न गुणवत्ता वाली सामग्री का उपयोग किया है, जिसका प्रमाण है सड़क की खराब स्थिति।
कंपनी के चेयरमैन सुरेंद्र कुमार ने दावा किया है कि जिन स्थानों पर सड़क उधड़ी थी, वहां मरम्मत कर दी गई है। मगर स्थानीय लोगों की मानें तो यह सिर्फ ‘कॉस्मेटिक सुधार’ है। यदि समय रहते जांच नहीं हुई, तो बरसात में यह सड़क और अधिक खतरनाक बन सकती है।
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