लखनऊ: उत्तर प्रदेश में कुल 10 की बजाय अब 9 विधानसभा सीटों पर ही उपचुनाव होंगे। अयोध्या की मिल्कीपुर सीट पर उपचुनाव नहीं होगा, क्योंकि वहां चुनाव को लेकर एक अर्जी अदालत में है। सभी 9 सीटों पर 13 नवंबर को मतदान होगा और नतीजे भी उसी दिन घोषित किए जाएंगे। मिल्कीपुर विधानसभा सीट के उपचुनाव की तारीखों का ऐलान नहीं हो सका है। इसकी मुख्य वजह यह है कि इस सीट पर पूर्व विधायक गोरखनाथ बाबा ने 2022 के आम चुनाव को लेकर हाईकोर्ट में एक रिट याचिका दायर की है, जो अभी लंबित है।
हाईकोर्ट में रिट का विवरण
गोरखनाथ बाबा ने 2022 विधानसभा चुनाव में हारने के बाद चुनावी प्रक्रिया को चुनौती दी थी। उन्होंने चुनाव में उनके प्रतिद्वंद्वी अवधेश प्रसाद के जीतने के खिलाफ रिट याचिका दाखिल की है। गोरखनाथ बाबा का आरोप है कि चुनाव में कुछ अनियमितताएँ और गलतियाँ हुई थीं, जिन्हें गंभीरता से लिया जाना चाहिए।
इस याचिका के चलते निर्वाचन आयोग ने उपचुनाव की तारीखों का ऐलान नहीं किया है। आयोग का मानना है कि जब तक हाईकोर्ट से इस मामले में कोई फैसला नहीं आता, तब तक चुनावी प्रक्रिया को आगे बढ़ाना उचित नहीं होगा।
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चुनावी प्रक्रिया पर प्रभाव
इस स्थिति ने मिल्कीपुर की राजनीतिक स्थिति को काफी प्रभावित किया है। स्थानीय मतदाता चुनावी प्रक्रिया के प्रति असमंजस में हैं और सभी की निगाहें हाईकोर्ट पर टिकी हुई हैं। राजनीतिक दलों के बीच भी इस मुद्दे को लेकर चर्चाएं चल रही हैं और हर कोई यह जानने के लिए उत्सुक है कि अदालत का निर्णय कब आएगा।
निर्वाचन आयोग की भूमिका
निर्वाचन आयोग ने साफ किया है कि वे हाईकोर्ट के फैसले का सम्मान करेंगे और उसके बाद ही उपचुनाव की प्रक्रिया को आगे बढ़ाने का निर्णय लेंगे। आयोग का उद्देश्य निष्पक्ष और स्वतंत्र चुनाव सुनिश्चित करना है, और वे किसी भी तरह के कानूनी विवाद में शामिल नहीं होना चाहते हैं।
संभावित समयसीमा
विशेषज्ञों का मानना है कि अगर हाईकोर्ट में सुनवाई जल्द होती है, तो उपचुनाव की प्रक्रिया शुरू की जा सकती है। हालांकि, यदि मामले की सुनवाई में समय लगता है, तो चुनावी गतिविधियों में भी देरी हो सकती है।
मिल्कीपुर की विधानसभा सीट पर उपचुनाव के इस विवाद ने राजनीतिक गलियारे में हलचल मचा दी है और सभी पक्षों के लिए यह एक महत्वपूर्ण मुद्दा बन गया है। निर्वाचन आयोग और हाईकोर्ट की कार्रवाई पर सभी की नजरें हैं।