“योगी की भूमिका सिर्फ यूपी के मुख्यमंत्री तक सीमित नहीं रहने वाली। पर, यह कब तक होगा। कहना कठिन है। वैसे, योगी की भूमिका को राष्ट्रीय फलक पर विस्तार देने की पदचाप सुनाई देने लगी है।”
लेखक – आशीष बाजपेयी
उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ का कद केवल प्रदेश तक सीमित नहीं रहने वाला है। उनकी राष्ट्रीय राजनीति में संभावनाओं को लेकर चल रही चर्चाओं ने नए संकेत दिए हैं, जो यह इशारा करते हैं कि भारतीय जनता पार्टी उन्हें जल्द ही एक राष्ट्रीय भूमिका में ला सकती है। योगी आदित्यनाथ की पहचान उनके प्रखर हिंदुत्व के एजेंडे और उनके प्रभावशाली “योगी मॉडल” के कारण होती है, जिसने यूपी में एक सशक्त प्रशासनिक छवि बनाई है।
वर्तमान में देश के प्रमुख राज्यों, जैसे महाराष्ट्र और झारखंड में हो रहे विधानसभा चुनाव में उनकी बढ़ती मांग इस ओर इशारा करती है कि पार्टी के शीर्ष नेतृत्व में उनके कद को लेकर एक नई रणनीति बन रही है। भाजपा का नेतृत्व समझ चुका है कि हिन्दू मतों को एकजुट करने के लिए योगी आदित्यनाथ से बेहतर दूसरा चेहरा शायद ही हो। उनके “बटेंगे तो कटेंगे” बयान को संघ के सरसंघचालक मोहन भागवत और प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी द्वारा आगे बढ़ाना और उसे राष्ट्रीय मंच पर प्रचार में शामिल करना इसका सबसे बड़ा उदाहरण है।
भाजपा के अन्य राज्यों में योगी मॉडल की मांग
अन्य राज्यों में भाजपा नेताओं और मुख्यमंत्री के बीच योगी आदित्यनाथ के मॉडल को एक रोल मॉडल के रूप में पेश किया जा रहा है।
योगी आदित्यनाथ का “योगी मॉडल” सिर्फ बीजेपी शासित राज्यों में ही नहीं बल्कि कांग्रेस शासित राज्यों में भी चर्चा का विषय बन चुका है। यह मॉडल विकास, सुशासन, और कानून-व्यवस्था पर आधारित है, जिसमें अपराध नियंत्रण और जनहित योजनाओं को मुख्यता दी गई है।
यूपी में उपचुनाव की कमान सौंपने के साथ ही पार्टी ने यह स्पष्ट संकेत दिया है कि योगी के नेतृत्व को अब चुनौती देने का कोई अर्थ नहीं है। भाजपा के शीर्ष नेतृत्व ने यह संदेश दिया है कि योगी आदित्यनाथ का नेतृत्व पूरी तरह से स्वीकार्य है और उनके कद को चुनौती देना अब किसी भी दल के लिए आसान नहीं होगा।
योगी मॉडल” में कानून-व्यवस्था का सुधार
योगी आदित्यनाथ के शासन में उत्तर प्रदेश में कानून-व्यवस्था की स्थिति में सुधार हुआ है। उनका सख्त रवैया और अपराधियों के खिलाफ कार्रवाई ने समाज में एक सकारात्मक बदलाव लाने में मदद की है। इससे न केवल जनता में विश्वास बढ़ा है, कम बल्कि निवेशकों के लिए भी एक सुरक्षित माहौल बनाया गया है।
योगी मॉडल” में विकास योजनाएँ
“डबल इंजन” सरकार की अवधारणा के तहत, योगी सरकार ने कई विकास योजनाएं लागू की हैं, जैसे कि ‘आगामी चुनावों के लिए विकास की रफ्तार बढ़ाना।’ उनकी योजनाएं गांवों के विकास, महिला सशक्तिकरण, और स्वास्थ्य सेवाओं में सुधार पर केंद्रित हैं। इन योजनाओं का प्रभाव यूपी के हर तबके पर पड़ता है।
योगी मॉडल” में सामाजिक सुरक्षा और कल्याण योजनाएँ
योगी आदित्यनाथ की सरकार ने सामाजिक सुरक्षा योजनाओं का विस्तार किया है, जिसमें गरीबों और जरूरतमंदों को वित्तीय सहायता दी जा रही है। इससे उनके प्रति लोगों का विश्वास बढ़ा है और यह एक प्रमुख कारण है कि उनकी छवि राष्ट्रीय स्तर पर मजबूत हो रही है।
भाजपा की रणनीति
भारतीय जनता पार्टी हिंदुत्व के एजेंडे को बल देने के लिए योगी आदित्यनाथ की भूमिका को यूपी से बाहर भी ले जाना चाहती है। राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि जिस प्रकार 2002 में गुजरात के मुख्यमंत्री नरेन्द्र मोदी की पहचान एक सशक्त हिंदुत्ववादी नेता के रूप में बनी थी, ठीक उसी प्रकार योगी आदित्यनाथ को भी इस दिशा में राष्ट्रीय स्तर पर आगे बढ़ाने की योजना बना रही है।
घटनाक्रम और विकास
2022 के विधानसभा चुनाव और हालिया लोकसभा चुनाव के घटनाक्रम से यह स्पष्ट होता है कि योगी आदित्यनाथ का राजनीतिक कद बढ़ रहा है। विधानसभा चुनाव के दौरान भाजपा ने 64 की जगह केवल 33 सीटें जीतीं, जिससे योगी के नेतृत्व पर प्रश्न उठने लगे। फिर भी, इन चर्चाओं के बीच प्रधानमंत्री मोदी ने योगी के विकास मॉडल की सराहना की, जिससे यह संकेत मिलता है कि केंद्र पूरी तरह से योगी के साथ खड़ा है।
चुनावी महत्त्व और आगामी उपचुनाव
योगी आदित्यनाथ को उपचुनावों की जिम्मेदारी सौंपने के बाद यह स्पष्ट हो गया है कि उनका स्थान भाजपा में महत्वपूर्ण है। उत्तर प्रदेश की विधानसभा की 10 में से 9 सीटों पर हो रहे उपचुनाव की पूरी कमान उन्हें दी गई है। यह कदम भाजपा के शीर्ष नेतृत्व द्वारा योगी के प्रति भरोसे को दर्शाता है और यह संकेत करता है कि यूपी में उनके नेतृत्व को लेकर कोई मतभेद नहीं हैं।
भाजपा की रणनीतियों का विश्लेषण
लोकसभा चुनाव में मुस्लिम वोट भाजपा के विरोध में लामबंद होने और हिंदू वोटों में बंटवारे ने “इंडी” गठबंधन को विशेष लाभ दिया है। इस परिस्थिति में भाजपा के रणीतिकारों ने मान लिया है कि हिंदुओं को लामबंद किए बिना काम नहीं चलेगा। इस समय यह काम योगी से बेहतर कोई और नहीं नहीं कर सकता है।
भारतीय जनता पार्टी हिंदुत्व के एजेंडे को बल देने के लिए योगी आदित्यनाथ की भूमिका को यूपी से बाहर भी ले जाना चाहती है।
राजनीतिक विश्लेषक प्रो. ए.पी. तिवारी के अनुसार-
जिस प्रकार 2002 में गुजरात के मुख्यमंत्री नरेन्द्र मोदी की पहचान एक सशक्त हिंदुत्ववादी नेता के रूप में बनी थी, ठीक उसी प्रकार योगी आदित्यनाथ को भी इस दिशा में राष्ट्रीय स्तर पर आगे बढ़ाने की योजना बन रही है।
हालांकि, भाजपा कोई जल्दबाजी नहीं दिखा रही। गुजरात के मुख्यमंत्री रहते मोदी को राष्ट्रीय राजनीति में उभरने में कई साल लगे थे, और योगी आदित्यनाथ के मामले में भी पार्टी नेतृत्व उसी तरह की एक रणनीतिक सोच अपनाना चाहता है।
प्रो. ए.पी. तिवारी के अनुसार नए हो रहे शोध के अब तक सामने आए तथ्यों को आधार बनाएं, तो नाथ संप्रदाय के मुखिया के नाते योगी के न सिर्फ उत्तर प्रदेश बल्कि देश के ज्यादातर राज्यों में हजारों अनुयाई तो हैं ही, इसके अलावा यूरोप, रुस, दक्षिण अफ्रीका सहित दुनिया के कई देशों में नाथ संप्रदाय के अनुयाई रहते हैं।
इस नाते भी योगी की भूमिका में विस्तार का मतलब भाजपा के समर्थकों में विस्तार है, जो किसी भी राजनीतिक दल के लिए जरूरी है। ऊपर से हिंदुत्व और विकास तथा कानून-व्यवस्था के एजेंडे पर भी वह वैसे ही बड़े रोल मॉडल बनकर उभरे हैं, जैसा गुजरात के मुख्यमंत्री बनने के बाद नरेन्द्र मोदी बनकर उभरे थे। जिस तरह गुजरात के विकास मॉडल की चर्चा पूरे देश में होती थी। उसी तरह आज न सिर्फ भाजपा शासित राज्यों के मुख्यमंत्री, बल्कि हिमाचल जैसे कांग्रेस शासित कुछ राज्यों में भी योगी के मॉडल की चर्चा होती देखी जा सकती है। ये भी उनकी राष्ट्रीय राजनीति में भूमिका की चर्चाओं को आधार ही देता है।
मोदी और योगी का एक जैसा सफर
योगी आदित्यनाथ और नरेंद्र मोदी का राजनीतिक सफर काफी समानताओं से भरा हुआ है। दोनों नेताओं की कार्यशैली और राजनीति में एक ही प्रकार का दृष्टिकोण देखने को मिलता है। जैसे मोदी को अचानक उत्तर प्रदेश के दौरे से मुख्यमंत्री बनाया गया, ठीक उसी तरह 2017 में जब भाजपा ने चुनाव जीते, तब भी किसी को यह पता नहीं था कि गोरखपुर के सांसद योगी आदित्यनाथ को मुख्यमंत्री बनाया जाएगा। दोनों नेता हिंदुत्व की नीति को लेकर विपक्ष के निशाने पर रहते हैं और अपने कार्यों के लिए देशभर में चर्चा में बने रहते हैं। इस प्रकार, यह स्पष्ट है कि योगी की भूमिका केवल यूपी के मुख्यमंत्री तक सीमित नहीं रहेगी, और उनकी राष्ट्रीय राजनीति में विस्तार की संभावनाएं भी बढ़ रही हैं।
यह कहना कठिन है कि योगी की भूमिका कब तक यूपी के मुख्यमंत्री तक सीमित रहेगी, लेकिन उनकी राष्ट्रीय राजनीति में सक्रियता की संभावनाएं बढ़ती जा रही हैं। योगी आदित्यनाथ की क्षमता और प्रदर्शन से स्पष्ट होता है कि वे आने वाले वर्षों में भाजपा की राष्ट्रीय राजनीति में महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकते हैं।
यह लेख न केवल योगी आदित्यनाथ की राजनीतिक यात्रा को प्रदर्शित करता है, बल्कि यह भी दिखाता है कि भाजपा उनके नेतृत्व को कैसे राष्ट्रीय स्तर पर प्रासंगिकता और स्वीकार्यता दिलाने का प्रयास कर रही है।
प्रमुख तथ्य:
आदित्यनाथ का कद बढ़ाना
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और आरएसएस के समर्थन से योगी का कद केवल यूपी में नहीं, बल्कि राष्ट्रीय स्तर पर बढ़ता जा रहा है।
योगी का ‘हिंदुत्व एजेंडा’
भाजपा के हिंदुत्व एजेंडे को मजबूती देने के लिए योगी आदित्यनाथ की भूमिका अब यूपी तक सीमित नहीं रहेगी।
राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ की भूमिका
संघ के कई वरिष्ठ नेताओं ने योगी को समर्थन देकर उनकी राष्ट्रीय राजनीति में भूमिका को मजबूत करने के संकेत दिए हैं।
विश्ववार्ता परिवार की तरफ से आप सभी को “छठ पूजा” की हार्दिक शुभकामनाएँ”
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