“उत्तर प्रदेश लोक सेवा आयोग (UPPSC) ने परीक्षाओं की शुचिता और पारदर्शिता सुनिश्चित करने हेतु प्रसामान्यीकरण प्रक्रिया अपनाई है। आयोग ने अभ्यर्थियों की सुविधा को ध्यान में रखते हुए परीक्षा केन्द्रों के चयन में सख्त नीति अपनाई है।”
परीक्षा की शुचिता और अभ्यर्थियों की सुविधा ही UPPSC की प्राथमिकता
प्रयागराज। उत्तर प्रदेश लोक सेवा आयोग (UPPSC) ने परीक्षाओं की शुचिता और अभ्यर्थियों की सुविधा को अपनी सर्वोच्च प्राथमिकता बताया है। आयोग के प्रवक्ता ने बताया कि परीक्षाओं में नॉर्मलाइजेशन और दो पालियों में परीक्षा कराने का निर्णय अभ्यर्थियों की सुविधा और परीक्षा की पारदर्शिता सुनिश्चित करने के लिए लिया गया है।
आयोग ने कहा कि परीक्षा केन्द्रों के चयन में राजकीय एवं वित्त पोषित शैक्षणिक संस्थाओं को ही प्राथमिकता दी जा रही है, जो रेलवे स्टेशन या बस अड्डे से 10 किलोमीटर के दायरे में हैं। इससे दूरदराज के संदिग्ध केन्द्रों पर होने वाली गड़बड़ियों से बचा जा सकेगा और छात्रों के भविष्य की सुरक्षा सुनिश्चित की जा सकेगी।
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प्रवक्ता ने बताया कि जहां अधिक अभ्यर्थी संख्या होती है, वहां परीक्षा एक से अधिक पालियों में आयोजित करना अनिवार्य हो जाता है। इसी के तहत PCS (प्रारंभिक) परीक्षा 7 और 8 दिसंबर को और RO/ARO (प्रारंभिक) परीक्षा 22 व 23 दिसंबर को आयोजित की जाएगी।
प्रवक्ता ने कहा कि प्रसामान्यीकरण की प्रक्रिया कोई नई नहीं है। यह देश के कई प्रतिष्ठित भर्ती निकायों में अपनाई जाती है और सुप्रीम कोर्ट ने भी इसका समर्थन किया है। राधाकृष्णन कमेटी द्वारा नीट परीक्षा में भी इस प्रक्रिया को अपनाने की अनुशंसा की गई थी।
आयोग के पास आए अभ्यर्थियों के पत्रों के अनुसार कुछ टेलीग्राम चैनल और यूट्यूबर्स परीक्षा को लेकर भ्रम फैला रहे हैं। प्रवक्ता ने स्पष्ट किया कि परीक्षा की व्यवस्था पारदर्शी तरीके से छात्रों के हित में तय की गई है और अभ्यर्थियों की सभी जिज्ञासाओं का समाधान किया जा रहा है।
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रिपोर्ट: मनोज शुक्ल