“काशी की देव दीपावली पर 84 घाटों पर 25 लाख दीये जलाए गए। उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ और मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने किया दीपोत्सव का शुभारंभ। दुनियाभर से 15 लाख पर्यटक पहुंचे। गंगा आरती, दीयों की रोशनी और सांस्कृतिक कार्यक्रमों ने काशी को रोशन किया। देव दीपावली का हर पल बना खास।”
विशेष संवाददाता -मनोज शुक्ल
काशी, जिसे भारतीय संस्कृति और अध्यात्म का केंद्र माना जाता है, देव दीपावली के अवसर पर रोशनी और भव्यता से जगमगा उठी। गंगा के 84 घाटों पर जलाए गए 25 लाख दीयों की रोशनी ने इस आयोजन को यादगार बना दिया। 15 लाख पर्यटकों और 40 से अधिक देशों के मेहमानों ने इस अद्वितीय पर्व का आनंद लिया।
उत्सव का भव्य आयोजन
दीयों की जगमगाहट
गंगा तट के संत रविदास घाट से लेकर पंचगंगा घाट तक, 84 घाटों पर 17 लाख दीये सजाए गए। काशी के अन्य क्षेत्रों और मंदिरों में 8 लाख अतिरिक्त दीये जलाए गए। यह आयोजन पिछले साल की तुलना में और भी भव्य था, जब 18 लाख दीये जलाए गए थे।
विदेशी और देशी पर्यटकों की बड़ी संख्या
इंडोनेशिया, वियतनाम, फ्रांस, और अन्य 40 देशों से आए पर्यटक गंगा किनारे दीपों की रोशनी और आरती का नजारा देखने पहुंचे। स्थानीय लोगों ने विदेशी मेहमानों का पारंपरिक तरीके से स्वागत किया।
महत्वपूर्ण घटनाएं और आयोजन
नमो घाट पर उद्घाटन
उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ ने नमो घाट पर पहला दीप प्रज्ज्वलित किया। उनके साथ उत्तर प्रदेश की राज्यपाल आनंदी बेन पटेल और मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ भी मौजूद थे।
महाआरती का आयोजन
दशाश्वमेध घाट और अस्सी घाट पर भव्य गंगा आरती हुई। इसमें विशेष पूजा के साथ भगवान शिव और मां गंगा का आह्वान किया गया।
गोरखा ट्रेनिंग सेंटर का सलामी कार्यक्रम
दशाश्वमेध घाट पर गोरखा ट्रेनिंग सेंटर (GTC) के जवानों ने शहीदों को सलामी दी। अमर जवान ज्योति की रेप्लिका हर साल की तरह इस बार भी बनाई गई।
हजारा दीप स्तंभ की सजावट
पंचगंगा घाट पर महारानी अहिल्याबाई होल्कर द्वारा स्थापित हजारा दीप स्तंभ पर विशेष पूजा और दीयों की सजावट की गई।
बजड़े और नावों की सजावट
गंगा में चलने वाले बजड़ों और नावों को फूलों और झालरों से सजाया गया। पर्यटकों ने इन बजड़ों पर बैठकर दीयों की रोशनी का आनंद लिया।
पर्यटकों और स्थानीय लोगों की प्रतिक्रियाएं
सिडनी से आई लारा”काशी की देव दीपावली देखने का अनुभव अद्भुत है। दीयों की रोशनी और गंगा आरती का माहौल मंत्रमुग्ध कर देने वाला है।”
बॉलीवुड अभिनेत्री दीप्ति भटनागर
“काशी में देव दीपावली देखना मेरे लिए सौभाग्य की बात है। यहां का वातावरण अद्वितीय है। यह उत्सव भारतीय संस्कृति का सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन है।”
स्थानीय निवासी
काशी के लोगों ने इस आयोजन को सफल बनाने में श्रमदान किया। घाटों और मंदिरों को सजाने में स्थानीय निवासियों का योगदान सराहनीय रहा।
अलग-अलग घाटों की विशेषताएं
दशाश्वमेध घाट
यहां गंगा आरती के लिए सबसे ज्यादा भीड़ थी। पर्यटकों ने दीयों की रोशनी में आरती का अनुभव लिया।
महाआरती का आयोजन
दशाश्वमेध घाट और अस्सी घाट पर भव्य गंगा आरती हुई। इसमें विशेष पूजा के साथ भगवान शिव और मां गंगा का आह्वान किया गया।
गोरखा ट्रेनिंग सेंटर का सलामी कार्यक्रम
दशाश्वमेध घाट पर गोरखा ट्रेनिंग सेंटर (GTC) के जवानों ने शहीदों को सलामी दी। अमर जवान ज्योति की रेप्लिका हर साल की तरह इस बार भी बनाई गई।
हजारा दीप स्तंभ की सजावट
पंचगंगा घाट पर महारानी अहिल्याबाई होल्कर द्वारा स्थापित हजारा दीप स्तंभ पर विशेष पूजा और दीयों की सजावट की गई।
बजड़े और नावों की सजावट
गंगा में चलने वाले बजड़ों और नावों को फूलों और झालरों से सजाया गया। पर्यटकों ने इन बजड़ों पर बैठकर दीयों की रोशनी का आनंद लिया।
देव दीपावली का धार्मिक और सांस्कृतिक महत्व
देव दीपावली कार्तिक पूर्णिमा के दिन मनाई जाती है। मान्यता है कि इस दिन देवता स्वयं धरती पर उतरकर गंगा की आरती में शामिल होते हैं। यह पर्व दिवाली से 15 दिन बाद मनाया जाता है।
धार्मिक दृष्टि से
इस दिन गंगा स्नान और दान-पुण्य का विशेष महत्व है।
सांस्कृतिक दृष्टि से
दीपों और सजावट के माध्यम से यह उत्सव भारतीय संस्कृति की अनोखी छवि प्रस्तुत करता है।
काशी की भव्यता का संपूर्ण अनुभव
देव दीपावली केवल एक त्योहार नहीं, बल्कि काशी की धार्मिक और सांस्कृतिक परंपरा का भव्य प्रदर्शन है। यह आयोजन देश-विदेश के पर्यटकों को भारतीय संस्कृति के करीब लाने का माध्यम है।
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