झांसी: झांसी मेडिकल कॉलेज के एसएनसीयू (स्पेशल न्यूट्रीशनल केयर यूनिट) में बीती रात लगी आग के कारण 10 नवजात शिशुओं की जलकर मौत हो गई, जबकि एक और बच्चे की इलाज के दौरान अस्पताल में मृत्यु हो गई। इस घटना ने झांसी को शोक में डुबो दिया, और मृतकों की संख्या रविवार तक 11 तक पहुंच गई। घटना में एक और दिलचस्प और विचलित करने वाली कहानी सामने आई, जो विवाद का कारण बन गई।
लक्ष्मी ने दूसरे के बच्चे को अपना समझकर इलाज कराया
बमेर बबीना की रहने वाली लक्ष्मी ने अस्पताल में एक बच्चे को अपना मानकर उसे इलाज के लिए भर्ती कराया, हालांकि बाद में यह पता चला कि वह बच्चा लक्ष्मी का नहीं, बल्कि किसी और का था। लक्ष्मी ने बताया, “आग लगने के बाद मैंने बच्चे को बाहर निकाला, लेकिन मुझे नहीं पता था कि वह बच्चा किसी और का है। मैंने बच्चे को एक निजी अस्पताल में भर्ती कराया।”
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अस्पताल प्रशासन ने पर्ची से बच्चे के नंबर की जानकारी निकालकर पुलिस को फोन किया। पुलिस के साथ बच्चे के असली पिता कृपाराम अस्पताल पहुंचे और उन्हें बच्चा सौंप दिया गया। कृपाराम ने पुष्टि की कि बच्चा उनका है और उन्हें इसे सौंप दिया गया। वहीं, लक्ष्मी के अपने बच्चे का इलाज भी अस्पताल में चल रहा है।
अस्पताल में आग लगने के कारणों पर विवाद
मेडिकल कॉलेज के एसएनसीयू में लगी आग ने अब तक 11 नवजातों की जान ले ली। घटना के बाद अस्पताल में हड़कंप मच गया था, और अधिकारियों ने हादसे के कारणों की जांच शुरू कर दी। आग की घटना शनिवार रात की बताई जा रही है, जब दोनों ब्लॉक में नवजात शिशु भर्ती थे। आग लगते ही पहले ब्लॉक में भर्ती नवजातों को बाहर निकाल लिया गया, लेकिन दूसरे ब्लॉक में भर्ती बच्चे अंदर ही फंसे रहे और उनकी मौत हो गई।
आग लगने के कारण को लेकर कई संभावनाएं जताई जा रही हैं। पुलिस के मुताबिक, एक चश्मदीद ने दावा किया कि ऑक्सीजन पाइप को पिघलाने के लिए कंसंट्रेटर को बंद किए बिना गर्म किया गया था, जिसके कारण ऑक्सीजन का रिसाव हुआ और आग फैली। हालांकि, पुलिस अधिकारी इस बयान को पूरी तरह से विश्वसनीय नहीं मानते।
सीएफओ राजकिशोर राय का कहना है कि आग शॉर्ट सर्किट के कारण लगी हो सकती है, क्योंकि वहां पर विद्युत लोड अधिक था। हालांकि, अन्य पहलुओं की भी जांच की जा रही है।
विभागीय लापरवाही और जिम्मेदारी पर सवाल
इस घटना ने अस्पताल प्रशासन की लापरवाही को उजागर किया है। प्रशासन पर आरोप लग रहे हैं कि आवश्यक सुरक्षा उपायों की कमी के कारण यह भयंकर घटना हुई। जिस एसएनसीयू में बच्चों को रखा गया था, वह सुरक्षा मानकों के अनुसार तैयार नहीं था, और वहां लगी आग ने यह साबित कर दिया कि अस्पताल में सुरक्षा इंतजामों की भारी कमी थी।
इस घटना ने मेडिकल क्षेत्र में सुरक्षा व्यवस्था की गंभीर स्थिति को लेकर सवाल उठाए हैं। प्रशासन और पुलिस मामले की जांच में जुटे हुए हैं, लेकिन इस बीच नवजातों की मौत ने स्वास्थ्य और सुरक्षा मानकों की अनदेखी का एक और उदाहरण प्रस्तुत किया है।
बच्चों की मौत पर शोक और राज्य सरकार की भूमिका
इस भयंकर घटना पर राज्य के स्वास्थ्य मंत्री और मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने गहरा शोक व्यक्त किया है और मृतकों के परिजनों को हर संभव मदद देने का आश्वासन दिया है। राज्य सरकार ने घटना की जांच के लिए उच्च स्तरीय कमेटी का गठन किया है। स्वास्थ्य विभाग ने भी अस्पताल की सुरक्षा व्यवस्थाओं की जांच का आदेश दिया है और लापरवाही के दोषियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई करने की बात कही है।
झांसी मेडिकल कॉलेज में लगी आग ने न सिर्फ 11 नवजातों की जान ले ली, बल्कि अस्पताल की सुरक्षा और प्रशासन की लापरवाही पर गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं। घटना के बाद प्रशासन द्वारा जांच शुरू कर दी गई है, लेकिन यह घटना यह भी दर्शाती है कि अस्पतालों में नवजातों के इलाज के दौरान सुरक्षा के उपायों को लेकर गंभीर ध्यान देने की आवश्यकता है। इस दुखद घटना के बाद बच्चों के परिजनों को न्याय दिलवाने के लिए प्रशासन को जिम्मेदारी से काम करना होगा।