“ताजमहल के तेजोमहालय होने के दावे पर अदालत में बहस तेज। सर्वे कराने की मांग पर 16 दिसंबर को सुनवाई होगी। हिंदू पक्ष ने ऐतिहासिक तथ्यों की जांच का अनुरोध किया।”
आगरा। आगरा में स्थित विश्व प्रसिद्ध ताजमहल को लेकर जारी विवाद में अब एक और मोड़ आ गया है। ताजमहल के तेजोमहालय होने के दावे के संदर्भ में दाखिल याचिका पर 16 दिसंबर को अदालत में सुनवाई होगी। हिंदू पक्ष का कहना है कि ताजमहल एक प्राचीन शिव मंदिर है और इसका नाम तेजोमहालय था।
याचिका का उद्देश्य:
हिंदू पक्ष ने अदालत से ताजमहल का सर्वेक्षण कराने और उसके बंद दरवाजों के पीछे छिपे तथ्यों को उजागर करने की मांग की है। उनका दावा है कि इन कमरों में हिंदू देवी-देवताओं के प्रमाण मौजूद हो सकते हैं।
पुरातत्व और इतिहास का सवाल:
ताजमहल के निर्माण के पीछे का इतिहास लंबे समय से चर्चा में है। हालांकि, भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (ASI) और अन्य विशेषज्ञों ने इसे शाहजहां द्वारा निर्मित मकबरा बताया है, लेकिन हिंदू पक्ष इससे असहमति जताते हुए नए सबूत प्रस्तुत करने की बात कर रहा है।
सुनवाई और संभावनाएं:
16 दिसंबर को होने वाली सुनवाई में अदालत यह तय करेगी कि ताजमहल का पुरातात्विक सर्वेक्षण किया जाएगा या नहीं। यह मामला सांस्कृतिक और धार्मिक विवाद के कारण पूरे देश में चर्चा का विषय बना हुआ है।
विवाद का प्रभाव:
इस याचिका से न केवल धार्मिक और ऐतिहासिक दृष्टिकोण से ताजमहल की पहचान पर सवाल खड़े हो रहे हैं, बल्कि पर्यटन उद्योग पर भी इसका असर हो सकता है।
प्रशासन की प्रतिक्रिया:
सरकारी और प्रशासनिक अधिकारियों ने इस मामले में फिलहाल कोई स्पष्ट बयान नहीं दिया है। पुरातत्व विशेषज्ञों का कहना है कि इस तरह की मांगों का वैज्ञानिक और ऐतिहासिक आधार पर विश्लेषण किया जाना चाहिए।
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मनोज शुक्ल
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