“उत्तर प्रदेश राज्य कर्मचारी महासंघ ने बिजली निजीकरण के खिलाफ विरोध जताया है और 22 दिसंबर को लखनऊ में होने वाली महापंचायत में शामिल होने का ऐलान किया है। सुभाष लांबा समेत कई कर्मचारी नेता इस महापंचायत में भाग लेंगे।”
लखनऊ: उत्तर प्रदेश राज्य कर्मचारी महासंघ ने राज्य सरकार के डिस्कॉम (बिजली वितरण कंपनियों) के निजीकरण के खिलाफ विरोध जताया है। महासंघ ने 22 दिसंबर को लखनऊ में आयोजित होने वाली बिजली महापंचायत में शामिल होने का ऐलान किया है। इस महापंचायत में अखिल भारतीय राज्य सरकारी कर्मचारी महासंघ के राष्ट्रीय अध्यक्ष और इलेक्ट्रिसिटी एम्पलाइज फेडरेशन ऑफ इंडिया (ईईएफआई) के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष सुभाष लांबा भी भाग लेंगे।
राज्य कर्मचारी महासंघ के राज्य अध्यक्ष कमल अग्रवाल ने इस संदर्भ में एक बयान जारी किया है, जिसमें उन्होंने उत्तर प्रदेश सरकार के द्वारा पूर्वांचल और दक्षिणांचल डिस्कॉम का निजीकरण करने के निर्णय को निंदनीय बताया है। कमल अग्रवाल ने सवाल उठाया कि इन डिस्कॉम की परिस्थितियों का मूल्यांकन किए बिना कैसे बोली लगाने के लिए 1000-1500 करोड़ रुपए की बेस प्राइस निर्धारित कर दी गई।
महासंघ के नेताओं ने चेतावनी दी है कि अगर डिस्कॉम का निजीकरण होता है, तो बिजली के दरों में भारी बढ़ोतरी हो सकती है। वे कहते हैं कि निजीकरण के कारण उपभोक्ताओं पर अतिरिक्त आर्थिक भार पड़ेगा और बिजली की दरें दस रुपए प्रति यूनिट से ज्यादा हो सकती हैं।
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उत्तर प्रदेश राज्य कर्मचारी महासंघ के नेता अफ़ीफ़ सिद्दीकी ने इस मुद्दे पर आडिट की आवश्यकता जताई है। उन्होंने कहा कि यदि दोनों डिस्कॉम का सीएजी (कंट्रोलर एंड ऑडिटर जनरल) से आडिट कराया जाए तो करोड़ों के घोटाले का पर्दाफाश हो सकता है।
इसके साथ ही, महासंघ ने यह भी कहा कि राज्य कर्मचारी बिजली कर्मचारियों के इस संघर्ष में पूरी तरह से सहयोग और समर्थन करेंगे। 22 दिसंबर की महापंचायत में सैकड़ों कर्मचारी संगठन और विभिन्न विभागों के कर्मचारी शामिल होंगे।
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