प्रयागराज नगर निगम द्वारा मियावाकी तकनीक से कई स्थानों पर घने वन विकसित किए गए हैं। यह परियोजना महाकुम्भ 2025 में आने वाले श्रद्धालुओं को शुद्ध वायु देने के साथ-साथ पर्यावरण संरक्षण में भी मदद करेगी। प्रयागराज में 1.2 लाख पौधे लगाए गए हैं, जिससे वायु और जल प्रदूषण में कमी आएगी।
महाकुम्भ 2025 के आयोजन में आने वाले श्रद्धालुओं को शुद्ध वायु और साफ वातावरण मिलेगा, इसके लिए योगी सरकार ने प्रयागराज में मियावाकी तकनीक से कई घने जंगल विकसित किए हैं। प्रयागराज नगर निगम ने इस तकनीक के माध्यम से दो साल में 56 हज़ार वर्ग मीटर में ऑक्सीजन बैंक डेवलप किए हैं। मियावाकी तकनीक से लगाए गए पौधे तेजी से बढ़ रहे हैं और स्थानीय तापमान में भी गिरावट आई है। खासकर नैनी औद्योगिक क्षेत्र में एक लाख से ज्यादा पौधे लगाए गए हैं, जहां पहले औद्योगिक कचरा फैला हुआ था। इस परियोजना के तहत, प्रयागराज में 13 से अधिक स्थानों पर पौधरोपण किया गया है और इसके जरिए शहरी क्षेत्रों में प्रदूषण पर नियंत्रण पाया गया है।
प्रयागराज में मियावाकी तकनीक का प्रयोग शहरीकरण के कारण बढ़े प्रदूषण और गर्मी के मुकाबले एक बेहतरीन उपाय बनकर सामने आया है। इस तकनीक से लगाए गए पौधों में विशेष रूप से जैव विविधता को बढ़ावा देने वाली प्रजातियां शामिल की गई हैं, जैसे कि आम, नीम, पीपल, सागौन, और तुलसी। इसके परिणामस्वरूप इलाके की वायु गुणवत्ता में सुधार हुआ है, और इससे धूल, गंदगी, और बदबू की समस्या भी हल हो रही है। इसके अलावा, इस तकनीक का इस्तेमाल सीमित जगहों पर भी घने जंगल बनाने में किया जा रहा है, जिससे कम जगह पर अधिक लाभ मिल रहा है।
मियावाकी तकनीक में छोटे-छोटे स्थानों पर घने, मिश्रित पौधे लगाए जाते हैं, जो तेजी से बढ़कर अधिक कार्बन अवशोषित करते हैं और वनों का जल्दी विकास करते हैं। इस तकनीक से शहरी क्षेत्रों में प्रदूषण कम करने के साथ-साथ जल और मिट्टी की गुणवत्ता में भी सुधार हो रहा है।
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