उत्तर प्रदेश में मनरेगा से ग्रामीण कनेक्टिविटी को लेकर बड़ा बदलाव देखने को मिल रहा है। उप मुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्य के निर्देश पर ग्राम्य विकास विभाग द्वारा गांवों की आन्तरिक गलियों और संपर्क मार्गों को बेहतर किया जा रहा है। मनरेगा के तहत सीसी रोड, इंटरलॉकिंग और चकरोड जैसी संरचनाएं बनाकर ग्रामीण जीवन को सरल और सुगम बनाया जा रहा है।
ग्राम पंचायतों में इन मार्गों के निर्माण से जहां आवागमन आसान हुआ है, वहीं स्वच्छता और जल निकासी की व्यवस्था भी सुधरी है। मानसून के समय जलभराव की समस्या को देखते हुए नदियों और नालों पर पुलियों का निर्माण कराया जा रहा है ताकि हर मौसम में संपर्क बना रहे।
जहां बड़े वाहनों के लिए सड़कें बनाना संभव नहीं, वहां पर मनरेगा से छोटे पैदल मार्ग बनाए गए हैं। ये रास्ते खासकर महिलाओं और बच्चों को स्कूल, अस्पताल और जरूरी सेवाओं तक पहुंचने में सहायक हैं। साथ ही, जल निकासी के लिए सड़कों के किनारे नालियों का निर्माण भी किया गया है, जिससे वर्षा के समय सड़कों को नुकसान नहीं होता।
गांवों में बने ये संपर्क मार्ग स्थानीय उत्पादों जैसे अनाज, सब्जी और दूध को बाजारों तक पहुंचाने में भी मदद कर रहे हैं। इससे किसानों की आमदनी बढ़ी है और ग्रामीण व्यापार को मजबूती मिली है। स्थानीय श्रमिकों को रोजगार देकर यह योजना आत्मनिर्भरता की दिशा में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रही है।
ग्राम्य विकास विभाग से प्राप्त जानकारी के अनुसार, उत्तर प्रदेश में पिछले तीन वर्षों में मनरेगा के अंतर्गत 2.32 लाख से अधिक ग्रामीण संयोजकता कार्य पूरे किए जा चुके हैं। आयुक्त जी. एस. प्रियदर्शी ने बताया कि इससे ग्रामीण क्षेत्रों को आर्थिक और सामाजिक रूप से सशक्त बनाने में मदद मिली है।
महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी अधिनियम (मनरेगा) का उद्देश्य ग्रामीण भारत में रोजगार सृजन के साथ-साथ बुनियादी ढांचे का विकास करना है। उत्तर प्रदेश जैसे बड़े राज्य में यह योजना ग्रामीण और शहरी क्षेत्रों के बीच की खाई को पाटने में सहायक बन रही है। सड़कों, पुलियों और नालियों के इन निर्माण कार्यों ने न केवल आवागमन सुगम किया है, बल्कि समाज के वंचित वर्गों, खासकर महिलाओं और अनुसूचित जातियों को मुख्यधारा से जोड़ा है।