अगर आप इस बात से परेशान हैं कि आपका बच्चा स्कूल में अपना लंच बॉक्स वैसे का वैसे वापस ले आता है, जैसा कि आपने उसे सुबह पैक करके दिया था। तो इसमें सारा दोष आपके बच्चे का नहीं, जरा सा आपका भी है। जी हां, बच्चों को अच्छा और पौष्टिक खाना खाने की आदत तो आपको ही डालनी होगी। और बाकि अच्छी आदतों की तरह यह आदत में डलने में खूब समय ले सकती है। 
आखिर कैसे बच्चों को यह आदत ड़ाली जाए कि वे अपना लंच बॉक्स पूरा खत्म करें। इस विषय पर दिल्ली के अपोलो अस्पताल की ट्रांसप्लांट यूनिट में अपनी सेवाएं दे चुकी और वर्तमान में डायटिशन डॉक्टर नेहा सागर का कहना है कि बच्चों को पौष्टिक भोजन लेने की आदत डालना बहुत ही जरूरी है। यह उनके वर्तमान और भविष्य दोनों के लिए ही फायदेमंद और जरूरी भी है। बच्चों के मानसिक और शारीरिक विकास के लिए जरूरी है कि वे अच्छा आहार लें।
तो अगर आपका बच्चा खाने से जी चुराता है और आप इस बात से भी परेशान रहते हैं कि आखिर उसे कैस लंच बॉक्स दिया जाए, जिसे वह खत्म भी कर ले और उसे पोषण भी मिले।
तो यहां हैं कुछ टिप्स…
कैसा हो बच्चों का लंच बॉक्स–
- बच्चों के लंच बॉक्स में ज्यादातर सूखी चीजें रखनी चाहिए, ताकि उन्हें खाने में आसानी रहे। बच्चों की दिलचस्पी का भी ख्याल रखें और इस बात का भी ध्यान रखें कि उन का रोज का खाना एक जैसा न हो जाए। किसी दिन रोटी सब्जी दें, तो किसी दिन आटे की नमकीन सेंवई। कभी सब्जी पुलाव दे दिया, तो कभी उतपम। भुनी इडली या दाल का चीला वगैरह भी लंच बॉक्स में रख सकते हैं।
- इसके अलावा बच्चों के लंच बॉक्स में मौसम के हिसाब से फल भी रखें। इनमें संतरा, केला, सेब, अनार वगैरह ऐसे फल हैं जो बच्चों को आमतौर पर पसंद आते हैं। हां, साथ ही खीरा, ककड़ी टमाटर, अंकुरित अनाज या दल वगैरह का सलाद रखना न भूलें।
- बीच-बीच में बच्चों के सहपाठियों और क्लास टीचर से पूछते रहना चाहिए कि जो खाना आप लंच बॉक्स में भेज रहे हैं उसे आपका बच्चा खा भी रहा है या नहीं। बच्चे को पॉकेट मनी दे कर बाहर कैंटीन से खाना खाने की आदन न डलवाएं।
इन बातों का रखें ध्यान–
- ’बच्चे क खुराक में दूध को अहमियत दें. उसमें रोजाना दूध पीने की आदत डालें।
- ’बच्चे की पंसद के खाने को नजरअंदाज न करें, पर साथ ही पौष्टिक खाना खाने के लिए भी बढ़ावा दें।
- ’बच्चा जब भेजन खत्म कर लेता है, तो उसे प्यार से शाबाश या वैरी गुड जरूर कहें।
- ’बच्चा अगर जंक फूड की डिमांड करता है, तो उसे घर पर बना पास्ता, बर्गर,पिज्जा या दूसरी ऐसी चीजें देने की कोशिश करें।
- ’बच्चा अपने बड़ों से ही सीखता है. इसलिए खुद भी कभी खाने में किसी तरह का मीनमेख न निकालें।
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