नई दिल्ली। राष्ट्रपति चुनाव को लेकर भारतीय जनता पार्टी ने मोहरे चलने शुरू कर दिए हैं। पहले कदम के तहत भाजपा अपने सहयोगी दलों को अपनी पसंद के उम्मीदवार पर सहमत करने की योजना बना रही है। इसके तहत 29 मार्च को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भाजपा और उसके सहयोगी दलों के नेताओं को रात्रिभोज पर बुलाया है।
नव संवत्सर और होली मिलन के मौके पर इस रात्रि भोज में भारतीय जनता पार्टी की ओर से सोचे जा रहे नामों के विकल्प राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (राजग) के सहयोगी दलों के नेताओं के सामने रखे जाने की संभावना है।
हाल के विधानसभा चुनावों में भाजपा को मिली जोरदार सफलता के बाद यह तय है कि केंद्र में सत्तारूढ़ यह पार्टी जिसे भी उम्मीदवार बनाएगी, उसके रास्ते में कोई अड़चन नहीं आएगी। लेकिन उम्मीदवारी घोषित करने के पहले भाजपा यह जताना चाहती है कि वह राजग के अपने सभी सहयोगी दलों को साथ लेकर चल रही है।
भाजपा का फोकस शिवसेना पर है, जिसके साथ महाराष्ट्र में रिश्तों में खटास की खबरें आ रही हैं। शिवसेना प्रमुख उद्धव ठाकरे को खासतौर पर रात्रिभोज के लिए बुलाया गया है। शिवसेना की ओर से उद्धव ठाकरे ने रात्रिभोज के लिए सहमति दे दी है।
शिवसेना के राज्यसभा सांसद संजय राउत के अनुसार, भाजपा यह संकेत देना चाहती है कि वह अपने सभी सहयोगियों को साथ लेकर चलना चाहती है। शिवसेना के एक नेता के अनुसार, प्रधानमंत्री की यह रात्रि भोज कूटनीति है, जिसमें राष्ट्रपति चुनाव से पहले भाजपा आम सहमति बनाना चाहती है। राष्ट्रपति पद के लिए महिला, पिछड़ा-आदिवासी पत्ता खेलना चाहती है भाजपा।
राष्ट्रपति पद के संभावित उम्मीदवारों में लोकसभा अध्यक्ष सुमित्रा महाजन, विदेश मंत्री सुषमा स्वराज, झारखंड की राज्यपाल द्रौपदी मुर्मू, भाजपा के वरिष्ठ नेता लालकृष्ण आडवाणी, मुरली मनोहर जोशी समेत कई नाम मीडिया में उछाले जा रहे हैं। शिवसेना के एक नेता के अनुसार, भले ही भाजपा को लोकसभा में बहुमत हासिल है और वह कई राज्यों में सत्ता में है, लेकिन वह सहयोगी दलों को शिकायत का कोई मौका नहीं देना चाहती।
राष्ट्रपति चुनाव के लिए सांसदों और विधायकों वोटों का मूल्य 10,98,882 है और राष्ट्रपति चुनाव जीतने के लिए उम्मीदवार को 5.49 लाख वोट हासिल होने चाहिए। पांच राज्यों के चुनाव से पहले भाजपा गठबंधन के पास 4.57 लाख वोट थे। यानी 92 हजार वोट कम पड़ रहे थे। चुनाव नतीजों में भाजपा को जितनी सीटें मिलीं, उससे उनके पास 96,508 मूल्य के वोट और आ गए हैं। ऐसे में भाजपा और उनके सहयोगी अकेले दम पर अपना उम्मीदवार जिता लेने में सक्षम हैं।
हाल में उत्तर प्रदेश के चुनाव नतीजे आने के पहले भाजपा के वरिष्ठ नेताओं की एक बैठक में राष्ट्रपति पद के संभावित नामों पर अनौपचारिक चर्चा हुई बताई जा रही है। मौजूदा राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी का कार्यकाल 25 जुलाई तक का है।
ऐसे में अगले राष्ट्रपति का चुनाव इससे पहले हो जाना चाहिए। सत्तारूढ़ भाजपा नीत राजग और विपक्षी दलों के बीच किसी नाम पर आम सहमति नहीं बनी तो चुनाव तय है। लेकिन अभी तक यूपीए व राजग में से किसी ने अपने पत्ते नहीं खोले हैं।