आम आदमी पार्टी के विधायक एडवोकेट एचएस फूलका का इस्तीफा नियमों पर खरा नहीं उतर रहा है। नियमों के अनुसार व्यक्ति को सिंगल लाइन में अपना त्यागपत्र देना होता है। एडवोकेट फूलका ने लगभग तीन पेज का इस्तीफा विधानसभा स्पीकर राणा केपी से भेजा है। इसके अलावा व्यक्ति को खुद पेश होकर अपना इस्तीफा विधानसभा स्पीकर को देना होता है।
वहीं फूलका ने ई-मेल और रजिस्टर्ड के माध्यम से इस्तीफा स्पीकर के पास भेजा है। इन दोनों नियमों की अनदेखी होने पर सवाल यही है कि क्या इस्तीफा स्वीकार होगा या फिर फूलका को दोबारा से इस्तीफा खुद पेश होकर देना पड़ेगा। स्पीकर राणा केपी के अनुसार इस्तीफा मंजूर होगा या नहीं। इस पर अभी कुछ कहना मुश्किल है।
उल्लेखनीय है कि बेअदबी मामले में जस्टिस रणजीत सिंह कमीशन की रिपोर्ट विधानसभा में पेश होने के बाद फूलका ने कहा था कि सरकार आरोपियों के खिलाफ एफआईआर दर्ज करे। ऐसे नहीं होने पर वह अपने पद से इस्तीफा देंगे। आखिरकार 12 अक्टूबर को फूलका ने तीन बजे का इस्तीफा भेज दिया।
इसमें साफ लिखा गया कि 28 अगस्त के विधानसभा सेशन में सुखजिंदर सिंह रंधावा, नवजोत सिद्धू, मनप्रीत बादल, तृप्त रजिंदर बाजवा और चरणजीत सिंह चन्नी ने डीजीपी रहे सुमेध सैनी और पूर्व मुख्यमंत्री प्रकाश सिंह बादल को सीधे जिम्मेदार माना था और इनके खिलाफ क्रिमिनल केस चलाने की बात कही थी। अब यही मंत्री 5 और 6 महीने बात कह रहे है। अब कांग्रेस हाईकमान यह नहीं चाहती कि डेरा सच्चा सौदा मुखी राम रहीम, प्रकाश सिंह बादल और सुमेध सैनी के खिलाफ कोई कार्रवाई हो, इसलिए मैं अपने पद से त्यागपत्र देता हूं।
मेरे इस्तीफे पर कटाक्ष करने की जगह पांच मंत्रियों पर बनाना था दबाव
एचएस फुल्का की प्रेस कांफ्रेंस
विधायक फूलका ने कहा कि सुखपाल सिंह खैरा कहते हैं कि फूलका ने इस्तीफा देते समय कोई राय नहीं की और उन्हें यह कदम उठाने के बजाया अपने हलके में विकास और विधानसभा में रहकर यह लड़ाई लड़नी चाहिए थी। लेकिन खैरा बताएं कि उन्होंने अपने हलके में मेरे मुकाबले कितना विकास करवाया है। मैंने उनकी हर लड़ाई में साथ दिया है। फूलका के अनुसार दिल्ली दंगा पीड़ितों को न्याय दिलाने के लिए 34 साल से चल रही लड़ाई में उन्हें इतना दुख कभी नहीं हुआ, जितना अपनों की इस बात से हुआ है।
नौ अक्तूबर की रात को खैरा से इस्तीफे को लेकर चर्चा हुई थी, जिसे शायद वह भूल गए हैं। फूलका के अनुसार मेरे कुछ अपने लोगों ने सोशल मीडिया टीम पर लाखों रुपये खर्च कर मेरे खिलाफ अभियान चला रखा है और मुझे डरपोक बताया जा रहा है। उन सबको यह बात जरूर सोचनी चाहिए कि दिल्ली में सज्जन कुमार और जगदीश टाइटलर का नाम लेने पर बड़े-बड़ों की बोलती बंद हो जाती है। उनके खिलाफ अकेले केस लड़ रहा हूं। दिल्ली दंगों में टाइटलर को मिली क्लीन चिट को मैंने रद्द करवाया है। मेरा काम इसी तरह आगे जारी रहेगा।
इस्तीफा तो सिर्फ सिंगल लाइन में और खुद पेश होकर देना होता है। हालांकि इस्तीफा देने की कोई जरूरत नहीं थी। सरकार अपना काम सही तरीके से कर रही है। अब इसका क्रेडिट कांग्रेस को न मिल जाए, इसलिए यह इस्तीफा दिया गया है। सरकार दोषियों के खिलाफ उचित कार्रवाई जरूर करेगी।
मैने अपना इस्तीफा रजिस्टर्ड डाक से स्पीकर को भेज दिया है, उनके स्टाफ कंफर्म कर भी कर दिया है। अगर मुझे खुद पेश होकर या फिर सिंगल लाइन में इस्तीफा देने के लिए कहा जाएगा, तो यह भी करूंगा।