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विवादित बयान: नए साल का जश्न इस्लामी परंपराओं के खिलाफ, AIMJ ने जारी किया फतवा

विवादित बयान: नए साल का जश्न इस्लामी परंपराओं के खिलाफ, AIMJ ने जारी किया फतवा

नई दिल्ली: ऑल इंडिया मुस्लिम जमात (AIMJ) के अध्यक्ष ने नए साल के जश्न को लेकर मुस्लिम समुदाय के लिए एक विवादित फतवा जारी किया है। उन्होंने कहा कि मुस्लिम युवक-युवतियां नए साल का जश्न न मनाएं क्योंकि यह इस्लामी परंपराओं के खिलाफ है। AIMJ के अनुसार, नया साल मनाने का चलन पश्चिमी संस्कृति का प्रभाव है, जो मुस्लिम समुदाय के धर्म और सांस्कृतिक पहचान को कमजोर करता है।

AIMJ अध्यक्ष ने अपने बयान में कहा:
“इस्लामिक कैलेंडर के अनुसार, नया साल मुहर्रम के महीने में होता है। ग्रेगोरियन कैलेंडर का नया साल मनाना इस्लामी सिद्धांतों का हिस्सा नहीं है। मुस्लिम युवाओं को अपनी धार्मिक मान्यताओं और परंपराओं का पालन करना चाहिए।”

फतवे के बाद देशभर में इस बयान को लेकर विभिन्न प्रतिक्रियाएं देखने को मिल रही हैं।

  1. समर्थन: कट्टरपंथी मुस्लिम समूहों ने इस फैसले का स्वागत किया और इसे इस्लामी परंपराओं की रक्षा के लिए एक जरूरी कदम बताया।
  2. विरोध: मुस्लिम समुदाय के प्रगतिशील वर्ग और युवा इस फतवे को व्यक्तिगत स्वतंत्रता पर हमला मान रहे हैं। उनका कहना है कि यह धर्म के नाम पर युवाओं की खुशी को सीमित करने का प्रयास है।

AIMJ अध्यक्ष का मानना है कि नए साल का जश्न, जिसमें शराब, पार्टी और अन्य गतिविधियां शामिल होती हैं, इस्लामी मूल्यों के खिलाफ हैं। उनका कहना है कि मुस्लिम युवाओं को इनसे बचना चाहिए और अपनी धार्मिक मान्यताओं को मजबूत करना चाहिए।

  1. धर्मगुरु: कई अन्य मुस्लिम धर्मगुरुओं ने इस फतवे पर मिलीजुली प्रतिक्रिया दी है। कुछ ने इसे सही कदम बताया, जबकि अन्य ने इसे कठोर और युवाओं के साथ अन्यायपूर्ण बताया।
  2. राजनीतिक हलचल: कई राजनीतिक दलों ने इसे धार्मिक कट्टरता बढ़ाने वाला कदम बताया। वहीं, कुछ नेताओं ने धार्मिक मामलों में सरकार के हस्तक्षेप न करने की सलाह दी।

AIMJ अध्यक्ष के फतवे ने खासकर मुस्लिम युवाओं के बीच असमंजस की स्थिति पैदा कर दी है। सोशल मीडिया पर इस फैसले को लेकर गहन बहस चल रही है।

फतवे के बाद मुस्लिम समुदाय का एक बड़ा वर्ग इससे सहमत नहीं दिख रहा है। कई लोग इसे सामाजिक और धार्मिक स्वतंत्रता में हस्तक्षेप मानते हैं। अब यह देखना होगा कि यह विवाद कहां तक पहुंचता है।

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