“भारतीय जनता पार्टी (भा.ज.पा.) ने विधानसभा उपचुनाव में दलितों और पिछड़ों के मिले समर्थन से उत्साहित होकर संगठन के चुनाव में इन दोनों समुदायों को तरजीह दी है। 751 मंडल अध्यक्षों की सूची जारी की गई है जिसमें पिछड़े और दलित जातियों की भागीदारी पर विशेष ध्यान दिया गया है। पार्टी के अंदर आपसी सहमति न बनने के कारण कुछ जिलों में चुनाव में देरी हुई है, और अब जिलाध्यक्ष चुनाव 15 जनवरी तक होने की संभावना है।”
लखनऊ। भारतीय जनता पार्टी (भा.ज.पा.) ने विधानसभा उपचुनाव में दलित और पिछड़े वर्ग के समर्थन से मिली सफलता के बाद संगठन चुनाव में भी इन दोनों समुदायों को प्राथमिकता दी है। सोमवार को पार्टी के प्रदेश नेतृत्व ने 1819 मंडलों में से 751 मंडल अध्यक्षों की सूची जारी की, जिसमें खास तौर पर पिछड़ी और दलित जाति के कार्यकर्ताओं को तरजीह दी गई। हालांकि, इस बार कुछ जिलों में सामान्य जाति के कार्यकर्ताओं को भी स्थान दिया गया है, लेकिन महिलाओं की भागीदारी थोड़ी कम है।
पार्टी के सूत्रों के मुताबिक, कई जिलों में आपसी सहमति न बनने के कारण मंडल अध्यक्षों के नाम की सूची समय पर फाइनल नहीं हो पाई। 15 दिसंबर तक मंडल अध्यक्ष और 31 दिसंबर तक जिलाध्यक्षों के चुनाव के लिए समय सीमा तय की गई थी, लेकिन कार्यकर्ताओं के बीच आपसी खींचतान के कारण इन चुनावों में देरी हुई। फिलहाल, प्रदेश नेतृत्व को 1023 मंडलों से पैनल मिल चुके हैं, और इन पैनलों के परीक्षण के बाद 751 मंडल अध्यक्षों की सूची जारी की गई है।
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इसके साथ ही पार्टी में प्रदेश अध्यक्ष के चुनाव को लेकर भी चर्चा शुरू हो गई है। सूत्रों के मुताबिक, इस बार प्रदेश अध्यक्ष पद के लिए दलित, पिछड़े और ब्राह्मण चेहरों पर विचार हो रहा है। पूर्व एमएलसी विद्यासागर सोनकर, सांसद रामशंकर कठेरिया, और राज्यसभा सदस्य दिनेश शर्मा जैसे नाम इस पद के लिए चर्चा में हैं।
नई प्रदेश अध्यक्ष के चुनाव की प्रक्रिया भी जल्द शुरू हो सकती है, और इसकी संभावना है कि यह चुनाव जनवरी के अंत तक संपन्न हो जाएं।
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