“भारत-चीन सीमा विवाद पर विदेश मंत्री डॉ. एस. जयशंकर ने लोकसभा में जानकारी दी कि एलएसी पर हालात सामान्य हैं और शांति बहाली की कोशिशें जारी हैं। उन्होंने कहा कि दोनों देशों के बीच सीमा मुद्दे को लेकर दशकों से बातचीत चल रही है। सीमा पर स्थिति सुधारने में भारतीय सेना की भूमिका को उन्होंने सराहा और बताया कि चीन से बातचीत सीमा पर शांति बहाली के बाद की गई है।”
नई दिल्ली। लोकसभा में विदेश मंत्री डॉ. एस. जयशंकर ने भारत-चीन सीमा विवाद पर जानकारी देते हुए कहा कि एलएसी पर स्थिति सामान्य है और फिलहाल शांति बहाली की कोशिशें जारी हैं। विदेश मंत्री ने बताया कि सीमा पर हालात सुधारने के लिए दोनों देश प्रतिबद्ध हैं और कोई भी पक्ष स्थिति से छेड़छाड़ नहीं करेगा। उन्होंने कहा कि दोनों देशों के बीच सभी मसलों का समाधान सहमति से किया जाएगा।
विदेश मंत्री ने यह भी कहा कि सीमा पर शांति बहाली का पूरा श्रेय भारतीय सेना को जाता है, जिनकी कड़ी मेहनत और तत्परता ने इस प्रक्रिया को तेज किया। कूटनीतिक प्रयासों से ही सीमा पर शांति स्थापित हुई है। उन्होंने आगे कहा कि भारत और चीन के बीच यह सहमति बनी है कि यथास्थिति में एकतरफा बदलाव नहीं किया जाएगा और दोनों देशों के बीच पुराने समझौतों का पालन किया जाएगा। सीमा पर शांति के बिना भारत-चीन के संबंध सामान्य नहीं रह सकते।
डॉ. जयशंकर ने बताया कि 2020 के बाद दोनों देशों के संबंध असामान्य हो गए थे, जब चीन ने सीमावर्ती क्षेत्रों में सैन्य गतिविधियों को बढ़ा दिया था। लेकिन अब हालात सुधारने की दिशा में निरंतर कूटनीतिक प्रयास किए जा रहे हैं। 2020 में चीन के सैनिकों के एकत्र होने और भारतीय सेनाओं के साथ टकराव के बाद, भारतीय सेना ने त्वरित तैनाती की और शांति बहाल करने की दिशा में महत्वपूर्ण कदम उठाए।
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इसके अलावा, 21 अक्टूबर को दोनों देशों की सेनाओं ने पूर्वी लद्दाख के देपसांग और डेमचोक क्षेत्रों से अपने-अपने सामान समेटना शुरू कर दिया था और नवंबर तक इसे पूरा कर लिया गया। भारत और चीन के संबंध 2020 में गलवान घाटी में हुई घातक झड़प के बाद काफी बिगड़े थे। यह झड़प दशकों में दोनों पक्षों के बीच सबसे गंभीर सैन्य संघर्ष थी।
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