“भारत के चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया, धनंजय Y चंद्रचूड़, आज रिटायर हो रहे हैं। सुप्रीम कोर्ट में अपने अंतिम केस की सुनवाई के बाद उन्होंने न्यायपालिका को अलविदा कहा। आइए जानते हैं, उनके कार्यकाल में दिए गए बड़े फैसलों ने भारतीय न्याय प्रणाली पर क्या प्रभाव डाला।”
सुप्रीम कोर्ट के चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया (CJI) धनंजय Y चंद्रचूड़ का आज (शुक्रवार दिनक -08-11-2024 ) रिटायरमेंट
नई दिल्ली। देश के चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया, जस्टिस धनंजय Y चंद्रचूड़ ने आज अपने कार्यकाल का अंतिम दिन मनाया। सुप्रीम कोर्ट में अपने अंतिम केस की सुनवाई करने के बाद, उन्होंने न्यायपालिका को अलविदा कहा। जस्टिस चंद्रचूड़ के कार्यकाल को भारतीय न्याय प्रणाली में एक नए युग के रूप में देखा जाता है, जहां उन्होंने कई ऐतिहासिक और महत्वपूर्ण फैसले सुनाए, जो न केवल समाज की न्यायिक दिशा को बदलते हैं बल्कि आने वाली पीढ़ियों के लिए भी मार्गदर्शक बनते हैं।
चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया (CJI) धनंजय Y चंद्रचूड़
CJI धनंजय Y चंद्रचूड़ के ऐतिहासिक फैसले:
निजता का अधिकार
2017 में, जस्टिस चंद्रचूड़ की अगुवाई में दिए गए इस फैसले ने भारतीय नागरिकों के निजता के अधिकार को मौलिक अधिकार का दर्जा दिया। यह फैसला आधार योजना के प्रभाव को कम करने और डिजिटल युग में निजता की सुरक्षा के लिए मील का पत्थर बना।
“निजता का अधिकार भारतीय संविधान का हिस्सा है, जिसे जस्टिस चंद्रचूड़ ने मौलिक अधिकार के रूप में स्वीकारा।”

Right to Privacy
समानता और LGBTQ+ अधिकार
2018 में, जस्टिस चंद्रचूड़ ने धारा 377 को असंवैधानिक घोषित करते हुए LGBTQ+ समुदाय को समानता का अधिकार दिलाने का ऐतिहासिक फैसला सुनाया। इस निर्णय ने भारत में सामाजिक समरसता और समानता की दिशा में एक नया अध्याय खोला।
“धारा 377 को असंवैधानिक घोषित कर LGBTQ+ अधिकारों को समानता का दर्जा दिया गया।“

LGBTQ+ Rights
अयोध्या भूमि विवाद
सुप्रीम कोर्ट के इस ऐतिहासिक फैसले में जस्टिस चंद्रचूड़ की भूमिका महत्वपूर्ण रही। इस फैसले में अयोध्या की विवादित भूमि को राम मंदिर के निर्माण के लिए सौंपा गया, जबकि मस्जिद के लिए वैकल्पिक भूमि आवंटित की गई। इससे वर्षों से चले आ रहे विवाद का समाधान हुआ।
“अयोध्या भूमि विवाद में उनका फैसला वर्षों पुरानी समस्या का शांतिपूर्ण समाधान साबित हुआ।“

(Ayodhya Land Dispute)
धार्मिक स्वतंत्रता और महिलाओं के अधिकार
सबरीमाला मंदिर में महिलाओं के प्रवेश को लेकर सुनाए गए फैसले में, जस्टिस चंद्रचूड़ ने महिलाओं को बराबरी का अधिकार देते हुए धार्मिक स्वतंत्रता के नए मापदंड स्थापित किए। इस फैसले ने महिला अधिकारों के प्रति न्यायपालिका की मजबूत प्रतिबद्धता को दर्शाया।
“धार्मिक स्वतंत्रता और महिलाओं के अधिकारों को सुरक्षित रखने के लिए सबरीमाला केस में नयी दिशाएं तय की गईं।“

(Religious Freedom & Women’s Rights)
संविधान के मूल ढांचे की सुरक्षा (Safeguarding Basic Structure Doctrine)
जस्टिस चंद्रचूड़ ने बार-बार संविधान के मूल ढांचे को बचाने की बात की। उन्होंने इसे राजनीतिक हस्तक्षेप से बचाने की आवश्यकता पर बल दिया, जिससे संविधान की निष्पक्षता और स्थिरता बनी रहे।
“संविधान के मूल ढांचे की सुरक्षा की उनकी वकालत न्यायपालिका की स्वतंत्रता का परिचायक रही।“

(Safeguarding Basic Structure Doctrine)
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रिपोर्ट – मनोज शुक्ल
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