“आईआईटी (बीएचयू) के शोधकर्ताओं ने आलू के छिलके से जैविक एथेनॉल उत्पादन की विधि खोजी। यह शोध ऊर्जा स्वतंत्रता, पर्यावरणीय स्थिरता और अपशिष्ट प्रबंधन में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगा।”
वाराणसी: भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान (बीएचयू) के शोधकर्ताओं ने आलू के छिलके से जैविक एथेनॉल उत्पादन में एक बड़ी सफलता हासिल की है। यह शोध “अपशिष्ट से संपत्ति” पहल के अंतर्गत किया गया है, जो न केवल खाद्य अपशिष्ट को प्रभावी ढंग से उपयोग में लाने का समाधान देता है, बल्कि स्वच्छ और टिकाऊ ऊर्जा विकल्पों को भी प्रोत्साहित करता है।
यह शोध डॉ. अभिषेक सुरेश धोबले (सहायक प्रोफेसर, स्कूल ऑफ बायोकैमिकल इंजीनियरिंग) और एम.टेक. छात्रा उन्नति गुप्ता द्वारा किया गया है। उन्होंने आलू के छिलके के जैविक घटकों को प्रभावी ढंग से जैविक एथेनॉल में परिवर्तित करने की प्रक्रिया विकसित की है।
पर्यावरणीय लाभ: यह नवीनीकरणीय बायोफ्यूल होने के कारण पारंपरिक जीवाश्म ईंधनों की तुलना में कम प्रदूषण करता है।
यह शोध भारत को कच्चे तेल के आयात पर निर्भरता कम करने और ऊर्जा क्षेत्र में आत्मनिर्भर बनाने में मदद करेगा।
खाद्य अपशिष्ट, विशेष रूप से आलू के छिलके, अब उपयोगी और मूल्यवान उत्पादों में परिवर्तित हो सकेंगे।
डॉ. धोबले ने कहा कि इस तकनीक को बड़े पैमाने पर लागू करने के लिए उद्योग जगत और सरकारी सहयोग की आवश्यकता है। यह शोध न केवल भारत के लिए बल्कि वैश्विक स्तर पर ऊर्जा और पर्यावरणीय स्थिरता के क्षेत्र में एक क्रांति साबित हो सकता है।
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