“लखनऊ हाईकोर्ट ने बेसिक शिक्षा में ‘लास्ट इन, फर्स्ट आउट’ नीति को असंवैधानिक ठहराते हुए शिक्षकों के समायोजन को रद्द कर दिया है। इसके फैसले से 1.35 लाख स्कूल प्रभावित होंगे। जानिए इस फैसले का यूपी में शिक्षा व्यवस्था पर क्या असर पड़ेगा।“
लखनऊ। इलाहाबाद हाईकोर्ट की लखनऊ बेंच ने गुरुवार को बेसिक शिक्षकों के समायोजन को रद्द करते हुए ‘लास्ट इन, फर्स्ट आउट’ नीति को असंवैधानिक माना है। जस्टिस मनीष माथुर की सिंगल बेंच ने इस नीति को संविधान के अनुच्छेद 14 और 16 का उल्लंघन बताते हुए बेसिक शिक्षा विभाग को निर्देश दिया कि वह इस नीति में सुधार करे। इससे 4.5 लाख शिक्षकों के भविष्य पर असर पड़ेगा और लगभग 1.35 लाख स्कूल इस निर्णय के तहत प्रभावित होंगे।
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समायोजन प्रक्रिया पर आपत्ति के मुख्य बिंदु:
- ट्रांसफर नीति का विरोध: याचिकाकर्ताओं का तर्क है कि इस नीति के कारण जूनियर शिक्षकों का बार-बार ट्रांसफर होता है, जबकि सीनियर शिक्षक स्थिर बने रहते हैं। यह असमानता अनुच्छेद 14 का उल्लंघन करती है।
- शिक्षा का अधिकार अधिनियम का उल्लंघन: यह नीति 2009 के शिक्षा का अधिकार अधिनियम के खिलाफ मानी गई है, जिसमें छात्र-शिक्षक अनुपात बनाए रखने का प्रावधान है।
- शिक्षा मित्रों की गणना का मुद्दा: शिक्षा मित्रों को सहायक शिक्षकों के बराबर माना जा रहा है, जो योग्यताओं में अंतर के बावजूद अनुचित है।
- पूर्व न्यायिक निर्णयों का अनदेखा करना: कोर्ट ने ‘लास्ट इन, फर्स्ट आउट’ नीति को कई मामलों में असंवैधानिक बताया है।
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रिपोर्ट – मनोज शुक्ल