“महाकुंभ 2025 में अमेरिकी सैनिक से बाबा मोक्षपुरी बने माइकल का योगदान विशेष रहा। बेटे की मृत्यु से प्रेरित होकर भारत पहुंचे और जूना अखाड़े से जुड़कर सनातन धर्म के प्रचार में समर्पित हुए। उनके जीवन की यात्रा पश्चिमी जीवनशैली से ध्यान और योग के मार्ग तक पहुंची। इस यात्रा में उनकी प्रेरणा नीम करोली बाबा से मिली, और अब वे न्यू मैक्सिको में आश्रम खोलने की योजना बना रहे हैं।”
प्रयागराज। प्रयागराज: महाकुंभ 2025 में एक विशेष व्यक्ति का योगदान है, जो अपने जीवन के कठिनतम समय में भारतीय संस्कृति और ध्यान की शरण में आए और अब पूरी दुनिया में सनातन धर्म का प्रचार कर रहे हैं। अमेरिका के न्यू मैक्सिको निवासी बाबा मोक्षपुरी, जो पहले माइकल के नाम से जाने जाते थे, महाकुंभ में आस्था की डुबकी लगाने पहुंचे।
माइकल से बाबा मोक्षपुरी बनने की कहानी:
माइकल का जीवन पहले पूरी तरह पश्चिमी संस्कृति से प्रभावित था। वह अमेरिकी सेना में एक सैनिक के रूप में सेवा कर रहे थे, लेकिन उनके जीवन का सबसे बड़ा मोड़ तब आया जब उनके बेटे की असमय मृत्यु हो गई। इस घटना ने उनके जीवन को पूरी तरह से बदल दिया। उन्हें यह अहसास हुआ कि दुनिया की सभी भौतिक सुख-सुविधाएं अस्थायी हैं और सच्ची शांति केवल आत्मज्ञान और ध्यान से ही प्राप्त हो सकती है।
बेटे के निधन के बाद माइकल ने अपनी पश्चिमी जीवनशैली को त्याग दिया और भारतीय संस्कृति की ओर रुख किया। 2000 में उन्होंने पहली बार भारत यात्रा की और यहां के साधुओं, संतों और ध्यान गुरुओं से प्रभावित हुए। इस यात्रा ने उनकी आध्यात्मिक यात्रा की शुरुआत की, और उन्होंने भारतीय धर्म, योग, ध्यान और साधना की गहराई को जाना।
बाबा मोक्षपुरी के आध्यात्मिक मार्ग पर यात्रा:
भारत में अपने पहले अनुभव के बाद माइकल ने सनातन धर्म के गहरे अध्ययन और साधना में समय बिताना शुरू किया। उनकी यात्रा का एक महत्वपूर्ण पड़ाव था जूना अखाड़ा, जहां वे सनातन धर्म के प्रचारक के रूप में जुड़ गए। उन्होंने ध्यान और योग को अपने जीवन का हिस्सा बना लिया और अपने आध्यात्मिक पथ पर आगे बढ़ते गए। उनके जीवन में नीम करोली बाबा का विशेष प्रभाव रहा, जिन्होंने उन्हें ध्यान और भक्ति के मार्ग पर चलने के लिए प्रेरित किया।
बाबा मोक्षपुरी का योगदान:
अब बाबा मोक्षपुरी पूरी दुनिया में भारतीय संस्कृति, योग और सनातन धर्म का प्रचार कर रहे हैं। वे महाकुंभ 2025 में भाग लेने पहुंचे हैं और यहां अपने अनुभवों को सभी के साथ साझा कर रहे हैं। वे मानते हैं कि महाकुंभ जैसी भव्य परंपराएं केवल भारत में संभव हैं और यह अवसर केवल कुछ ही लोगों को मिलता है। बाबा मोक्षपुरी का उद्देश्य केवल भारतीय संस्कृति को प्रचारित करना नहीं है, बल्कि वह पूरी दुनिया को योग, ध्यान और आध्यात्मिक जीवन के महत्व से अवगत कराना चाहते हैं।
नीम करोली बाबा से मिली प्रेरणा:
बाबा मोक्षपुरी की आध्यात्मिक यात्रा में नीम करोली बाबा का प्रभाव अत्यधिक महत्वपूर्ण रहा है। उन्होंने बताया कि नीम करोली बाबा के आश्रम में जाकर उन्होंने भक्ति और ध्यान की शक्ति को महसूस किया। उन्हें इस अनुभव से यह एहसास हुआ कि भक्ति और ध्यान ही जीवन के असली मार्ग हैं। बाबा मोक्षपुरी का मानना है कि जीवन के कठिनतम समय में ध्यान और भक्ति ही एकमात्र सहारा होते हैं, जो व्यक्ति को आत्मिक शांति और संतोष प्रदान करते हैं।
न्यू मैक्सिको में आश्रम खोलने की योजना:
बाबा मोक्षपुरी ने अब एक बड़ा लक्ष्य निर्धारित किया है। वे न्यू मैक्सिको में एक आश्रम खोलने की योजना बना रहे हैं, जहां वे भारतीय दर्शन, योग और ध्यान के साथ-साथ सनातन धर्म के सिद्धांतों को पश्चिमी दुनिया में प्रचारित करेंगे। उनका मानना है कि पश्चिमी जीवनशैली में संतुलन और शांति लाने के लिए भारतीय संस्कृति का अध्ययन और अनुसरण अत्यंत महत्वपूर्ण है। वे इस आश्रम को एक केंद्र के रूप में स्थापित करना चाहते हैं, जहां लोग ध्यान, योग, और आत्मज्ञान प्राप्त कर सकें।
आध्यात्मिक जागृति का संदेश:
बाबा मोक्षपुरी का जीवन इस बात का प्रमाण है कि व्यक्ति चाहे जहां से भी आए, अगर उसका मन और आत्मा सच्चे मार्ग पर चलने का इच्छुक हो, तो वह हर किसी के लिए प्रेरणा बन सकता है। उन्होंने यह साबित कर दिया कि दुख और परेशानी से गुजरने के बाद भी आत्मा की शांति प्राप्त की जा सकती है। उनके जीवन से यह संदेश मिलता है कि किसी भी व्यक्ति के लिए आत्मज्ञान और ध्यान का रास्ता खोलने के लिए कोई समय या उम्र की सीमा नहीं होती।
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विशेष संवाददाता – मनोज शुक्ल