“उत्तर प्रदेश में हाईवे और एक्सप्रेसवे के तेज़ी से विकास के बावजूद सड़क हादसों में तेजी आई है। 2013 से 2022 के बीच 1 लाख 97 हजार से अधिक लोग हादसों का शिकार हुए। पैदल और दोपहिया यात्री सबसे ज्यादा प्रभावित रहे। जानिए इस बढ़ती समस्या पर पूरी रिपोर्ट।”
लखनऊ। उत्तर प्रदेश में हाईवे और एक्सप्रेसवे के तेजी से विकास के बावजूद सड़क हादसों की संख्या में चिंताजनक वृद्धि हो रही है। एक रिपोर्ट के अनुसार, जनसंख्या के हिसाब से यूपी में सड़क हादसों के मामलों में सबसे पहले स्थान पर है। साल 2013 से 2022 के बीच यूपी में कुल 1 लाख 97 हजार 283 लोग सड़क हादसों का शिकार हुए।
यह आंकड़ा केवल संख्याओं का खेल नहीं है, बल्कि यह उन परिवारों की त्रासदी का प्रतिनिधित्व करता है जिन्होंने अपने प्रियजनों को खो दिया। रिपोर्ट के मुताबिक, सबसे अधिक जान गंवाने वाले लोग या तो पैदल चलते थे या फिर दोपहिया वाहन पर यात्रा कर रहे थे। इन दोनों वर्गों के लोग सड़क सुरक्षा की सबसे कमजोर कड़ी साबित हो रहे हैं।
सड़क हादसों में वृद्धि के कारणों में तेज़ रफ्तार, सड़क पर अव्यवस्था, वाहन चालक की लापरवाही और कमजोर यातायात नियमों का पालन शामिल हैं। जबकि यूपी में हाईवे और एक्सप्रेसवे के निर्माण से यात्रा में गति और समय की बचत हुई है, लेकिन सुरक्षा उपायों की कमी से यह सड़कें खतरे का कारण बन रही हैं।
यूपी सरकार ने कई बार सड़क सुरक्षा को लेकर योजनाओं की घोषणा की है, लेकिन उनकी कार्यान्वयन में सुस्ती और कम संसाधनों के चलते इन हादसों पर काबू पाना मुश्किल हो रहा है। अब वक्त आ गया है कि सड़क सुरक्षा पर विशेष ध्यान दिया जाए और कठोर नियमों का पालन सुनिश्चित किया जाए ताकि इन अनगिनत जिंदगियों को बचाया जा सके।
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विशेष संवाददाता – मनोज शुक्ल