“महाकुम्भ 2025, प्रयागराज में गंगा की निर्मलता और स्वच्छता के प्रतीक के रूप में आयोजित होगा। नमामि गंगे मिशन के तहत पर्यावरण-अनुकूल टॉयलेट्स, कचरा प्रबंधन, और प्लास्टिक मुक्त क्षेत्र की पहल के जरिए करोड़ों श्रद्धालुओं को स्वच्छ और सुखद अनुभव प्रदान किया जाएगा।”
महाकुम्भ नगर, प्रयागराज। महाकुम्भ 2025, जो आस्था, संस्कृति और आध्यात्म का अद्वितीय आयोजन है, इस बार स्वच्छता और पर्यावरणीय स्थिरता का प्रतीक बनेगा। राष्ट्रीय स्वच्छ गंगा मिशन के तहत इस आयोजन को स्वच्छ और प्लास्टिक मुक्त बनाने के लिए 152.37 करोड़ रुपये की लागत से विशेष कदम उठाए गए हैं।
स्वच्छता प्रबंधन की विस्तृत व्यवस्था
मेला क्षेत्र में 12,000 फाइबर रिइंफोर्स्ड प्लास्टिक (एफआरपी) टॉयलेट्स और 16,100 प्रीफैब्रिकेटेड स्टील टॉयलेट्स स्थापित किए गए हैं। ये टॉयलेट्स आधुनिक तकनीक से लैस हैं और पर्यावरण के अनुकूल हैं। 20,000 सामुदायिक मूत्रालयों की स्थापना भी की गई है, जो करोड़ों श्रद्धालुओं की सुविधा को ध्यान में रखते हुए बनाए गए हैं।
कचरा प्रबंधन और प्लास्टिक मुक्त क्षेत्र
मेला परिसर में 20,000 कचरा डिब्बे और 37.75 लाख लाइनर बैग का उपयोग किया गया है। यह व्यवस्था स्रोत पर ही कचरे को अलग करने और पुनर्चक्रण को बढ़ावा देने में मदद करेगी। गंगा की निर्मलता बनाए रखने के लिए विशेष सफाई अभियान चलाए जा रहे हैं।
पर्यावरणीय स्थिरता का प्रतीक
महाकुम्भ 2025 केवल धार्मिक आयोजन नहीं, बल्कि पर्यावरणीय स्थिरता और स्वच्छता का आदर्श उदाहरण है। योगी सरकार द्वारा किए गए ये प्रयास स्वच्छ भारत अभियान को एक नई दिशा प्रदान करेंगे और भविष्य के आयोजनों के लिए प्रेरणास्त्रोत बनेंगे।
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विशेष संवाददाता – मनोज शुक्ल
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