लखनऊ: महिला एवं बाल विकास मंत्रालय, भारत सरकार के तत्वाधान में उत्तर प्रदेश महिला एवं बाल विकास विभाग द्वारा “राष्ट्रीय दत्तकग्रहण जागरूकता माह” के अंतर्गत प्रदेशव्यापी कान्क्लेव-2024 का आयोजन इंदिरा गांधी प्रतिष्ठान में किया गया। इस कान्क्लेव का मुख्य उद्देश्य दत्तकग्रहण और फोस्टर केयर के माध्यम से बड़े बच्चों के पुनर्वास को सकारात्मक दिशा में बढ़ावा देना था।
मुख्य अतिथि और विचार-विमर्श:
कान्क्लेव में महिला एवं बाल विकास राज्य मंत्री, भारत सरकार, सावित्री ठाकुर, महिला कल्याण मंत्री, उत्तर प्रदेश, बेबी रानी मौर्या, राज्य महिला आयोग अध्यक्ष, उत्तर प्रदेश, बबीता सिंह चौहान और उपाध्यक्ष अपर्णा यादव ने विशेष रूप से भाग लिया। इस दौरान, सावित्री ठाकुर ने कहा, “हमारा अभियान इस वर्ष विशेष रूप से 6 साल से अधिक उम्र के बच्चों के लिए फोस्टर केयर और फोस्टर अडॉप्शन के माध्यम से पुनर्वास पर ध्यान केंद्रित कर रहा है।”
बेबी रानी मौर्या का संबोधन:
बेबी रानी मौर्या ने बताया कि प्रदेश सरकार बाल संरक्षण में अपनी महत्वपूर्ण भूमिका निभा रही है और इस प्रकार के जागरूकता अभियान से दत्तकग्रहण तथा फोस्टर केयर के प्रभावी क्रियान्वयन में मदद मिलेगी।
बच्चों के अधिकारों पर जोर:
महिला आयोग की अध्यक्ष, बबीता सिंह चौहान ने कहा कि दत्तकग्रहण के माध्यम से बच्चों को सुरक्षित और परिचित वातावरण में रहना चाहिए, ताकि उन्हें किसी भी सामाजिक या सांस्कृतिक चुनौती का सामना न करना पड़े।
दत्तकग्रहण और फोस्टर केयर की कानूनी प्रक्रिया:
कान्क्लेव में यह भी बताया गया कि भारत में दत्तकग्रहण की कानूनी प्रक्रिया को बढ़ावा देने के लिए केंद्रीय दत्तकग्रहण संसाधन प्राधिकरण (CAR) द्वारा दिशा-निर्देश जारी किए गए हैं। इसके अंतर्गत, कोई भी बच्चा कानूनी रूप से गोद लेने के लिए ऑनलाइन पोर्टल के माध्यम से आवेदन कर सकता है।
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फोस्टर केयर का महत्व:
बच्चों को 18 वर्ष की आयु तक पारिवारिक वातावरण में सुरक्षित रखने के लिए फोस्टर केयर का प्रावधान है। इस प्रक्रिया में बच्चे को अल्पकालिक या दीर्घकालिक देखरेख प्रदान की जाती है, जब तक वह पूरी तरह से आत्मनिर्भर न हो जाए।
समारोह में भागीदार:
इस अवसर पर प्रमुख सचिव, महिला एवं बाल विकास विभाग, उत्तर प्रदेश, लीना जौहरी, सचिव महिला एवं बाल विकास मंत्रालय, भारत सरकार, अनिल मलिक और अन्य वरिष्ठ अधिकारी उपस्थित रहे।