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कतर्निया घाट वन्य जीव प्रभाग

सफारी चालकों की लूट, चार घंटे के सफारी में सिर्फ 2 से ढाई घंटे का भ्रमण

कतर्नियाघाट वन्यजीव प्रभाग में सफारी पर जाने वाले पर्यटकों के साथ सफारी वाहन चालक धोखाधड़ी कर रहे हैं। जंगल सफारी के लिए निर्धारित चार घंटे के समय में वाहन चालक केवल दो से ढाई घंटे ही भ्रमण करवा रहे हैं, जबकि उसी समय में दूसरे पर्यटकों को भी सफारी पर भेज कर दोगुना किराया वसूल किया जा रहा है। पर्यटकों ने इस मुद्दे को लेकर डीएफओ और वन मंत्री से शिकायत की है।

कतर्नियाघाट में वन्यजीवों का दर्शन करने के लिए पर्यटक सफारी वाहन का उपयोग करते हैं, जो चार घंटे के लिए 1600 रुपये का किराया लेते हैं। हालांकि, वाहन चालक सफारी में चार घंटे का समय पूरी तरह से नहीं देते और मात्र दो से ढाई घंटे के भीतर सफारी खत्म कर देते हैं। इसके साथ ही, अन्य पर्यटकों को भी उसी समय में सफारी पर भेजकर दोगुना पैसा वसूल कर रहे हैं।

लखनऊ के पर्यटक सिद्धार्थ सिंह ने बताया कि दुधवा नेशनल पार्क, पीलीभीत टाइगर रिजर्व और कतर्नियाघाट वन्यजीव प्रभाग में सफारी का किराया और समय समान है, फिर कतर्नियाघाट में सफारी क्यों कम समय की दी जा रही है? उनका मानना है कि इस मामले की गहन जांच होनी चाहिए। उन्होंने यह भी कहा कि सफारी के लिए वन विभाग में तैनात डॉग हैंडलर और वन कर्मी ही अपने वाहन चलाते हैं, इसलिए विभाग कोई कार्रवाई नहीं कर पा रहा है।

पर्यावरण प्रेमी आरके सिंह और सिद्धार्थ सिंह का कहना है कि जब चार घंटे के सफारी के लिए 1600 रुपये का किराया लिया जाता है, तो सफारी का समय भी उतना ही होना चाहिए। उन्होंने यह सुझाव दिया कि अगर सफारी के समय में कोई कमी है तो इसे पूरा करने के लिए सफारी दोबारा उसी समय में कराई जाए, ताकि पर्यटकों को वन्यजीवों का दर्शन हो सके और वे पूरी तरह संतुष्ट हों।

डीएफओ बी शिवशंकरन ने सफारी वाहन के समय और किराए पर सवाल उठाए जाने पर जवाब देते हुए कहा कि सफारी के लिए 30 किलोमीटर का परिक्षेत्र निर्धारित है। यदि वाहन की गति 20 किलोमीटर प्रति घंटे की हो, तो सफारी डेढ़ घंटे में पूरी हो जाती है, हालांकि वह सफारी का समय ढाई घंटे तक बढ़वा रहे हैं। जब उनसे यह सवाल पूछा गया कि सफारी वाहन के मालिक डॉग हैंडलर और वन कर्मी हैं, तो उन्होंने पहले इसे स्वीकार किया, लेकिन बाद में इसे सिरे से खारिज कर दिया।

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