एक वक्त था जब शहर का समय घंटाघर तय करते थे। पूरा शहर इन्हीं के बताए समय पर अपनी दिनचर्या निर्धारित करता था। आम ओ या खास, घडिय़ाल की घनघनाहट पर हर कोई यकायक ही सतर्क हो उठता था और दिनभर में किए जाने वाले कामों को मन में दोहराने …
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