एक बार देवर्षि नारद “नारायण! नारायण!” का जाप करते हुए तीनों लोकों की यात्रा पर निकले। सभी देवों के दर्शन करते हुए “शीतला माता” के धाम पहुँचे। ध्यान-मुद्रा में बैठी मातारानी को मुस्कुराते हुए देख विस्मित महर्षि ने अभिवादन के साथ ही कहा -“माँ! आज तो आपके मुख पर अद्वितीय तेज …
Read More »