जैसे पर्वतों में हिमालय श्रेष्ठ है वैसे ही संतों में श्रेष्ठ हैं सांई। सांई नाम के आगे ‘थे’ लगाना उचित नहीं, क्योंकि सांई आज भी हमारे बीच हैं। बस, एक बार उनकी शरण में होना जरूरी है, तब वे आपके आसपास होंगे। यह अनुभूत सत्य है। सांई बाबा के बारे …
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