फिर थाली में भले ही 56 भोग हों, लेकिन एक मुट्ठी की ख्वाहिश तो बनी ही रहती है। देश ही नहीं, अब तो विदेश तक पहुंच हो चुकी है। जिसे बनाने और बेचने में शहर के छोटे-बड़े लगभग चार हजार कारोबारी लगे हों।इस लघु और कुटीर उद्योग से एक लाख …
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