नई दिल्ली। उत्तर प्रदेश में प्रथम चरण का मतदान खत्म हो गया है। पहले चरण में 15 जिलों की 73 सीटों पर वोट डाले गए। यूपी में सात चरणों में मतदान है और 8 मार्च को अंतिम मतदान है। 11 मार्च को सूबे में किसकी सरकार यह साफ हो जाएगा।
पहले चरण में दिग्गजों की लिस्ट में सबसे आगे हैं देश के गृहमंत्री राजनाथ सिंह के बेटे पंकज सिंह। इसके अलावा आरजेडी प्रमुख लालू प्रसाद यादव के रिश्तेदार राहुल यादव चुनाव लड़ रहे हैं। पंकज सिंह दिल्ली से सटी नोएडा सीट पर किस्मत आजमा रहे हैं।
1. पंकज सिंह (भाजपा, नोएडा सीट)
केंद्रीय गृहमंत्री राजनाथ सिंह के बेटे पंकज सिंह उत्तर प्रदेश की नोएडा सीट से चुनाव लड़ रहे हैं। पंकज सिंह एक दशक से भी ज्यादा समय से भाजपा से जुड़े हैं। पार्टी ने उन्हें पहली बार विधानसभा चुनाव का टिकट दिया है। उन्हें टिकट दिए जाने पर कई लोगों ने भाजपा पर भी परिवारवाद करने का आरोप लगाया था। पंकज सिंह पार्टी में अहम पदों पर जिम्मेदारी निभा चुके हैं। वे दो बार पार्टी महासचिव रहे हैं और एक बार भाजपा युवा मोर्चा के प्रमुख भी रहे है।
2. राहुल यादव (समाजवादी पार्टी, सिकंदराबाद सीट, बुलंदशहर)
राहुल यादव समाजवादी पार्टी के टिकट पर बुलंदशहर की सिकंदराबाद सीट से चुनाव लड़ रहे हैं। राहुल बिहार में सत्ताधारी दल आरजेडी के प्रमुख लालू प्रसाद यादव के रिश्तेदार हैं। लालू यादव इनके प्रचार के लिए यूपी में भी आए। बताया जाता है कि राहुल यादव का होटल का बिजनेस है और ये लालू प्रसाद यादव के साले के दामाद हैं। वैसे राहुल यादव की पहचान यहीं नहीं रुकती। वे समाजवादी पार्टी के संरक्षक मुलायम सिंह यादव के भतीजे जितेंद्र यादव के बेटे हैं। राज्य में समाजवादी पार्टी और परिवार के रसूख के चलते जितेंद्र सिंह विधान परिषद सदस्य रह चुके हैं। राहुल यादव की मां शीला यादव जिला पंचायत की तीसरी बार सदस्य निर्वाचित हुई हैं।
3. लक्ष्मीकांत वाजपेयी (भाजपा, मेरठ सीट)
लक्ष्मीकांत वाजपेयी भाजपा के उत्तर प्रदेश के अध्यक्ष रह चुके हैं। वाजपेयी के प्रदेश अध्यक्ष कार्यकाल के बाद ही राज्य में वर्तमान प्रमुख केशव प्रसाद मौर्य को यह जिम्मेदारी दी गई है। कहा जाता है कि पार्टी ने जातिगत रणनीति के तहत ही यह बदलाव किया था। इनके सामने समाजवादी पार्टी के रफीक अंसारी हैं। इस सीट पर मुकाबला काफी कड़ा होने की संभावना है।
4. मृगांका सिंह (भाजपा, कैराना सीट) सांसद की बेटी का भाई से मुकाबला
मृगांका सिंह भाजपा सांसद हुकुम सिंह की बेटी हैं। सांसद हुकुम सिंह ने मेरठ के कैराना से हिंदुओं के पलायन का मुद्दा उठाया था। आरोप लगाया था कि हिंदुओं को मजबूर कर यहां से पलायन करवाया जा रहा है। इस पर मीडिया में कई तरह की खबरें आईं। राजनीतिक दलों ने भाजपा में सांप्रदायिक राजनीति करने का आरोप भी लगाया। हुकुम सिंह के सांसद बनने के बाद इस सीट पर उप-चुनाव हुआ था, जिसमें मृगांका के चचेरे भाई अनिल चौहान को भाजपा की तरफ से टिकट मिला था। लेकिन, वे सपा के नाहिद हसन से चुनाव हार गए थे। भाजपा ने जहां इस बार मृगांका को टिकट दिया तो अनिल चौहान नाराज हो गए और रालोद में चले गए। अब इस सीट पर भाई-बहन के बीच में ही लड़ाई मानी जा रही है।
5. संगीत सोम (भाजपा, सरधना सीट, मेरठ)
मुजफ्फरनगर दंगों के बाद प्रशासन को खुलेआम चुनौती देकर संगीत सोम चर्चा में आए थे। बिहार चुनाव के समय संगीत सोम पर स्लॉटर हाउस चलाने का भी आरोप लगा था। जाट वोटों पर पकड़ के चलते प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने उन्हें अपनी रैली में सम्मानित किया था। इस पर अभी तक विपक्षी दल उनपर हमला करते हैं।
6. अतुल प्रधान (सपा, सरधना सीट, मेरठ)
समाजवादी पार्टी में अतुल प्रधान सीएम अखिलेश यादव के करीबी बताए जाते हैं। उनकी जाट वोटों पर अच्छी पकड़ मानी जाती है। सीएम उन्हें जिताऊ प्रत्याशी मान रहे हैं, जबकि अखिलेश यादव के चाचा शिवपाल यादव ने सपा से टिकट नहीं दिया था।
7. सुरेश राणा (भाजपा, थाना भवन सीट, मेरठ)
सुरेश राणा पश्चिमी उत्तर प्रदेश के कद्दावर भाजपा के नेता माने जाते हैं। मुजफ्फरनगर दंगों के बाद हुई पॉलिटिकल कॉन्ट्रोवर्सी में उनका नाम चर्चा में रहा था। इसके पहले हुई मोदी की रैली में उन्हें भी सम्मानित किया गया था।