केंद्रीय मंत्री हरदीप सिंह पुरी ने सोमवार को अरविंद केजरीवाल सरकार पर आईटीओ स्काईवॉक परियोजना को एक साल तक रोकने का आरोप लगाते हुए दावा किया कि आप सरकार की ओर से मंजूरी नहीं दिए जाने के कारण मेट्रो के चौथे चरण समेत कई परियोजनाएं अटकी हुई हैं. आईटीओ पर स्काईवॉक और एफओबी का उद्घाटन करते हुए पुरी ने आरोप लगाया कि झूठ बोला जा रहा है और जिन लोगों का इस परियोजना से लेना देना नहीं है वे इसका श्रेय लेने की कोशिश कर रहे हैं.
आवास एवं शहरी कार्य मंत्री ने दावा किया कि दिल्ली सरकार को इस परिेयोजना का 20 फीसदी खर्च देना था लेकिन उसने इसे मंजूरी नहीं दी और उनके मंत्रालय ने अपने दम पर इसे शुरू कराया . आईटीओ क्रॉसिंग और ‘डब्ल्यू’ प्वाइंट जंक्शन दो सबसे व्यस्त क्रॉसिंग हैं. इलाके में 25 से ज्यादा अहम कार्यालय और अन्य संस्थान स्थित हैं.
आईटीओ क्रॉसिंग और ‘डब्ल्यू’ प्वाइंट के आसपास करीब 30,000 राहगीर विभिन्न सड़कें पैदल पार करते हैं. पुरी ने कहा, ‘‘ जब मैं सितंबर 2017 में मंत्री बना तो मुझे बताया गया कि स्काईवॉक परियोजना को दिल्ली सरकार की मंजूरी का इंतजार है. ’’ स्काईवॉक आप सरकार और भाजपा नीत केंद्र सरकार के बीच विवाद का मसला बना हुआ है.
पिछले हफ्ते दिल्ली के लोक निर्माण मंत्री सतेंद्र जैन ने कहा था कि परियोजना के उद्घाटन के लिए आप के किसी भी मंत्री को निमंत्रण नहीं दिया गया है. मंत्रालय के अनुसार यह परियोजना केंद्र द्वारा क्रियान्वित और वित्तपोषित की गई है. लोक निर्माण मंत्रालय सिर्फ कार्यान्वयन एजेंसी है. उन्होंने कहा, ‘‘ हम यह प्रवृत्ति (दिल्ली में) हर शहरी परियोजना में देख रहे हैं. दिल्ली मेरठ आरआरटीएस और मेट्रो के चौथे चरण (आप सरकार की ओर से मंजूरी नहीं मिलने की वजह से) अटके हुए हैं. ’’ केंद्रीय मंत्री ने कहा कि एक साल पहले हमने इस परियोजना को अपने हाथ में लिया , हमने एक साल के अंदर इसे पूरा कर लिया.
दिल्ली सरकार ने कहा कि दिल्ली के लोगों को गुमराह करने के लिए कितने ही बड़े बड़े दावे कर लिए जाएं लेकिन जनता ही तय करेगी कि क्या रिबन काटना कड़ी मेहनत का विकल्प है. दिल्ली सरकार ने एक बयान में कहा कि इस परियोजना की जरूरत पर नौकरशाही ने सवाल किया था और दिल्ली के पूर्व पीडब्ल्यूडी सचिव ने ऐसी परियोजना की जरूरत पर सवाल किया था जो अब दिल्ली से बाहर तैनात हैं.
बयान में कहा गया है कि उनकी आपत्तियों को उपमुख्यमंत्री और वित्त मंत्री मनीष सिसोदिया ने दरकिनार कर दिया था और स्काईवॉक परियोजना के लिए दिल्ली सरकार के हिस्से के 12 करोड़ रुपये देने को मंजूरी दे दी थी. सिसोदिया ही व्यय वित्त समिति के प्रमुख हैं.