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पसंद का दूल्हा नहीं ढूंढ पाई मैट्रिमोनियल कंपनी.. अब देना होगा जुर्माना

पसंद का दूल्हा नहीं ढूंढ पाई मैट्रिमोनियल कंपनी.. अब देना होगा जुर्माना

वादे के मुताबिक मनपसंद दूल्‍हा नहीं ढ़ूंढ पाना एक मैट्रिमोनियल कंपनी को भारी पड़ गया। उसे इसके लिए जुर्माने के तौर पर 65 हजार रुपये देना होगा। ऑनलाइन दूल्हा-दुल्हन की मैचिंग करवाने वाली कंपनी को उपभोक्ता फोरम ने सेवा में कोताही का दोषी मानते हुए यह जुर्माना लगाया है। आरोप है कि कंपनी ने शिकायतकर्ता को वे विकल्प नहीं उपलब्ध कराए, जिसके लिए अनुबंध किया गया था।पसंद का दूल्हा नहीं ढूंढ पाई मैट्रिमोनियल कंपनी.. अब देना होगा जुर्माना

देना होगा 65 हजार रुपये जुर्माना, जीवनसाथी के लिए 58,650 रुपये में ऑनलाइन कराया था रजिस्ट्रेशन

जानकारी के अनुसार, चंडीगढ़ के सेक्टर-27 में रहने वाली एक युवती ने अपने लिए मनपसंद जीवनसाथी तलाशने के लिए सेक्टर-36डी स्थित वेडिंग विश प्राइवेट लिमिटेड मैट्रिमोनियल कंपनी में रजिस्‍ट्रेशन कराया। युवती ने यह रजिस्‍ट्रेशन 2 जून 2016 को कराया था। कंपनी के रॉयल प्लान के तहत युवती ने रजिस्ट्रेशन फीस के रूप में 58,650 रुपये चुकाई।पसंद का दूल्हा नहीं ढूंढ पाई मैट्रिमोनियल कंपनी.. अब देना होगा जुर्माना

अनुबंध के मुताबिक, युवती को उसकी पसंद का जीवनसाथी ढूंढ कर देना था। तीन महीने तक जब मैट्रिमोनियल कंपनी अनुबंध के तहत एक भी उपयुक्त जीवनसाथी नहीं तलाश सकी तो युवती ने उसे लीगल नोटिस भेज दिया।  निर्धारित समय तक जवाब न मिलने पर युवती ने मैट्रिमोनियल कंपनी के खिलाफ उपभोक्ता सरंक्षण अधिनियम-1986 के तहत शिकायत दायर की।

मैट्रिमोनियल कंपनी का जवाब

युवती की याचिका के जवाब में कंपनी ने कहा कि, याचिकाकर्ता के मैट्रिमोनियल अकाउंट पर जीवनसाथी चुनने के लिए 21 प्रोफाइल शेयर किए गए, लेकिन प्लान लिए जाने के बाद अगस्त 2016 से युवती ने शेयर किए गए प्रोफाइल को रिजेक्ट करना शुरू कर दिया। कंपनी की ओर से जिन लोगों के प्रोफाइल शेयर किए गए, उनकी कॉन्फ्रेंस कॉल व मीटिंग कराने के भी प्रयास किए गए, लेकिन उन सभी को युवती रिजेक्ट करती गई। 

कंपनी ने कहा कि युवती ने तीन महीने के अंदर ही अपना मैट्रिमोनियल अकाउंट बंद करा लिया। अनुबंध के तहत जो प्लान था, वह 12 महीने का था। कंपनी का कहना था कि इस बीच युवती की शादी दूसरी जगह तय हो गई थी। इस वजह से उसने कंपनी की सर्विस बंद कर दी और रिफंड की मांग की। उपभोक्‍ता फोरम ने कंपनी की दलील नहीं मानी।
फोरम ने कंपनी को शिकायतकर्ता द्वारा दी गई फीस में से 10 फीसद काट कर बाकी वापस 52,704 रुपये लौटाने के आदेश दिए हैं। इसके अलावा सेवा में कोताही बरतने और मानसिक रूप से परेशान करने पर सात हजार रुपये हर्जाना और पांच हजार रुपये मुकदमा फीस के तौर पर देने को कहा है। फोरम ने अपने आदेश में कहा है कि यदि रकम 30 दिन में नहीं अदा की गई तो इस राशि पर 12 फीसद सालाना ब्याज के भी अदा करना होगा।
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