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पीएम मोदी ने बेरोजगारी के मुद्दे पर विरोधियों को दिखाया आईना, पूछा ये सवाल?

पीएम मोदी ने बेरोजगारी के मुद्दे पर विरोधियों को दिखाया आईना, पूछा ये सवाल?

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा है कि राज्य अगर नौकरी दे रहे हैं, तो केंद्र बेरोजगारी क्यों पैदा करेगा। रोजगार पर सही आंकड़े उपलब्ध न होने की वजह से विपक्षी दलों को आरोप लगाने का मौका मिला है। एक पत्रिका को दिए साक्षात्कार में मोदी ने हैरत जताई कि कर्नाटक की पिछली कांग्रेस सरकार का दावा है कि उसने 53 लाख रोजगार सृजित किए, वहीं पश्चिम बंगाल की सरकार कह रही है कि पिछले कार्यकाल में उसने 68 लाख लोगों को नौकरी दी। तो क्या केंद्र ही बेरोजगारी पैदा कर रहा है?पीएम मोदी ने बेरोजगारी के मुद्दे पर विरोधियों को दिखाया आईना, पूछा ये सवाल?

पीएम मोदी का कहना था कि वह विपक्ष के नेताओं पर आरोप नहीं लगा रहे, लेकिन रोजगार पर सरकार के पास सही आंकड़े लोगों को देने के लिए नहीं हैं। आंकड़े एकत्र करने की हमारी परंपरागत प्रणाली दुरुस्त नहीं है। ऐसे में विपक्ष तो मनमुताबिक आरोप लगाएगा ही। मोदी का कहना था कि ग्रामीण स्तर पर लगभग तीन लाख उद्यमी हैं, जो रोजगार उपलब्ध कराने का काम कर रहे हैं। 15 हजार स्टार्ट अप भी इस दिशा में काम कर रहे हैं। ईपीएफओ (कर्मचारी भविष्य निधि संगठन) का पेरोल डाटा कहता है कि सितंबर 2017 से अप्रैल 2018 तक 41 लाख लोगों को औपचारिक रोजगार मिला है। ईपीएफओ के डाटा पर किए अध्ययन के मुताबिक पिछले साल 70 लाख औपचारिक रोजगार सृजित हुए।

उनका कहना था कि अनौपचारिक क्षेत्र तकरीबन 80 फीसद रोजगार सृजित करता है। अगर औपचारिक क्षेत्र में 41 लाख रोजगार मिले तो अनौपचारिक क्षेत्र में नौकरी मिलने का आंकड़ा इसका कई गुना होना चाहिए। उनका कहना था कि सरकार ने 12 करोड़ ऋण मुद्रा योजना के तहत बांटे। क्या एक लोन से एक व्यक्ति को भी आजीविका नहीं मिली?

निजी क्षेत्र कृषि को दें तरजीह

पीएम ने कहा कि निजी क्षेत्र का कृषि क्षेत्र में निवेश केवल 1.75 फीसद है। इसे आगे बढ़ाना बेहद जरूरी है। निवेशकों को चाहिए कि कृषि में पैसा लगाएं। उनका कहना था कि सरकार 2022 तक किसानों की आमदनी को दोगुनी करने के लिए वचनबद्ध है। इसके लिए चार स्तरीय योजना पर काम चल रहा है। पीएम ने कहा कि यूरिया की कमी अब बीते जमाने की बात हो चुकी है। इसके लिए किसानों को लाठी तक खानी पड़ती थीं। अब नीम कोटेड यूरिया का इस्तेमाल किसान कर रहे हैं। पीएम फसल बीमा योजना का वृहद असर देखने को मिल रहा है। मोदी का कहना था कि किसानों को फसल की लागत का 1.5 गुना न्यूनतम समर्थन मूल्य मिलेगा। उनका कहना था कि अब खेती को वैज्ञानिक शक्ल देने की कोशिशें हो रही हैं। इससे फसल की मात्र तो बढ़ेगी ही, साथ ही इसकी गुणवत्ता में भी इजाफा होगा। उनका कहना था कि निजी क्षेत्र किसानों की जरूरत समझकर निवेश करे तो लाभ मिलेगा।

पिछली सरकार की कमियों को नहीं करेंगे उजागर

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा कि उनकी सरकार में राजमार्ग, रेलवे, एयरलाइंस और आवास जैसे विभिन्न बुनियादी ढांचा क्षेत्रों में विकास हुआ है और जिसकी वजह से रोजगार के अवसरों में वृद्धि हुई है। स्वराज मैगजीन को दिए इंटरव्यू में प्रधानमंत्री ने यूपीए के नेतृत्व वाली पिछली सरकार पर भी सवाल उठाए। उन्होंने कहा कि यूपीए गठबंधन की सरकार ने भारतीय अर्थव्यवस्था में कई कमियां छोड़ी थीं। हालांकि, जब 2014 में एनडीए की सरकार आई तो देश हित में ये फैसला लिया गया कि पिछली सरकार की कमियों को उजागर नहीं करेंगे। उन्होंने कहा कि हम देश की पहले सोचते हैं न कि दल की।

इसके अलावा अपने साक्षात्कार के दौरान, पीएम मोदी ने किसानों के संकट के मुद्दे को भी संबोधित किया और भारत के कृषि क्षेत्र की दुर्दशा में सुधार करने के लिए चार स्तरीय रणनीति तैयार की। इसमें इनपुट लागत में कटौती, उत्पादन की कीमतें बढ़ाने, न्यूनतम फसल और फसल के बाद के नुकसान को सुनिश्चित करने और आय उत्पादन के लिए और अधिक मार्ग पैदा करना।

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