पटना । बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने वित्तीय वर्ष 2017-18 से राज्य सरकार उर्जा कंपनियों को देने के बजाय अनुदान की राशि सीधे बिजली उपभोक्ताओं को देने की घोषणा करते हुए आज कहा कि राज्य सरकार द्वारा उपभोक्ताओं को कुल 2952 करोड रुपये की राशि अनुदान स्वरुप उपलब्ध कराने का निर्णय लिया गया है।
बिहार विधानसभा में आज उक्त आशय की घोषणा करते हुए नीतीश ने कहा कि राज्य विद्युत बोर्ड को पुनर्गठित कर पांच कंपनियों बिहार स्टेट पावर :होल्डिंग: कंपनी, नार्थ बिहर पावर डिस्टरीब्यूशन कंपनी, साउथ बिहार पावर डिस्टरीब्यूशन कंपनी, बिहार स्टेट पावर जेनरेशन कंपनी एवं बिहार स्टेट पावर ट्रांसमीशन कंपनी का सृजन एक नवंबर 2012 के प्रभाव से किया गया है। यह कदम विद्युत क्षेत्र में व्यापक सुधार को ध्यान में रखकर उठाया गया है।
उन्होंने कहा कि विद्युत अधिनियम 2003 केे प्रावधानानुसार बिहार विद्युत विनियामक आयोग की स्थापना वर्ष 2006 में की गयी। तत्पश्चात आयोग द्वारा ही प्रत्येक वर्ष विभिन्न कोटि के उपभोक्ताओं के लिए विद्युत दर :टैरिफ: निर्धारित की जाती है।
नीतीश ने कहा कि वितरण कंपनियों के द्वारा अनुमानित वार्षिक व्यय के आधार पर आयोग के समक्ष याचिका दायर की जाती है जिसमें वितरण कंपनियों को प्राप्त अनुदान की राशि को घटाने के पश्चात शेष राशि के आधार जांचोपरान्त टैरिफ निर्धारित किया जाता है।
उन्होंने कहा कि इस प्रक्रिया का गहन समीक्षोपरांत यह पाया गया कि उपभोक्ताओं को विद्युत आपूर्ति पर वास्तविक लागत की जानकारी का सर्वथा अभाव बना रहता था तथा राज्य सरकार से दी जा रही अनुदान की भी जानकारी नहीं रहती थी। अत: एक सोची समझी रणनीति के तहत वर्ष 2017-18 में टैरिफ याचिका का शून्य अनुदान पर दायर किया गया।