जयनारायण व्यास विश्वविद्यालय की कार्यप्रणाली सुचारु बनाए रखने वाली वैधानिक समितियों के चुनाव अरसे से लंबित हैं। विवि प्रशासन सीनेट, सिंडीकेट और एकेडमिक काउंसिल के चुनावों को लेकर मौन साधे हुए हैं। विश्वविद्यालय के शिक्षकों के मुद्दे पेश करने वाली सिंडीकेट के चुनाव पिछले कई महीनों से नहीं करवाए जा रहे हैं।
नियमानुसार विवि के नियमों के तहत सिंडीकेट सदस्यों के चुनाव पिछले सदस्यों का कार्यकाल समाप्त होने के दौरान ही करवाए जाने चाहिए। आवश्यक कारण होने पर कुलपति ये चुनाव 3 माह के भीतर करवा सकते हैं, लेकिन गत अक्टूबर के बाद से अभी तक चुनाव नहीं करवाए गए हैं। करीब साल भर बीतने के बाद भी इन वैधानिक समीतियों के चुनाव अटके हुए हैं।
संभागीय विश्वविद्यालय बनने के कारण इससे बहुत से कॉलेज जुड़ गए हैं। कुलपति की ओर से इन कॉलेजों को वोटर बनाने की प्रक्रिया अभी तक शुरू नहीं करवाई जा रही है। सिंडीकेट चुनाव नहीं होने के कारण विवि के कई महत्वपूर्ण कार्य लंबित पड़े हैं। शिक्षकों के मुद्दों पर विचार नहीं किया जा रहा है।
ये सदस्य होते हैं सिंडीकेट में
सिंडीकेट सदस्यों में कुलपति, कुलपति की ओर से नामित संकायों की डीन/घटक कॉलेजों के डायरेक्टर/संबद्ध कॉलेजों के प्राचार्यों के दो व्यक्ति, कुलपति द्वारा नामित विवि के दो प्रोफेसर, राज्यपाल की ओर से नामित एक शिक्षाविद, उच्च शिक्षा के निदेशक, राज्य सरकार की ओर से नामित दो व्यक्ति, विधानसभा के दो सदस्य, सीनेट द्वारा चुना गया छात्रों का प्रतिनिधि और दो शिक्षक, जिनका चुनाव विवि शिक्षकों की ओर से किया गया हो शामिल होते हैं। अमूमन यह होता है कि कुलपति द्वारा चुने जाने वाले सदस्य निर्णयों पर अपनी सहमति जाहिर कर देते हैं, लेकिन शिक्षकों द्वारा चुने गए सदस्य निर्णयों पर प्रश्न लगा सकते हैं।
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