देहरादून । उत्तराखंड में स्थायी बचाव-राहत कार्यों की आवश्यकता है। इसका कारण यहां निरंतर प्राकृतिक प्रकोप होते रहा है। बादल फटना, बाढ़ तथा मार्गों का क्षतिग्रस्त होना यहां आम घटनाएं हैं। इसी प्रकार की घटनाओं में वाहनों का नदी नालों में गिरना भी शामिल है। जिसके कारण प्रतिवर्ष सैकड़ों लोग अपनी जान गंवाते हैं। २०१३ में केदारधाम की आपदा पर अभी मरहम भी नहीं लग पाए थे कि कुमाऊं में आयी भीषण आपदा ने एक बार फिर २०१३ की आपदा की याद दिला दी है। इस आपदा में दो दर्जन से अधिक लोग अपनी जान गंवा चुके हैं,जबकि पांच सौ से अधिक मवेशी अब इस दुनिया में नहीं रहे जिनसे इस क्षति का अंदाजा लगाया जा सकता है। यूं तो सरकार पर लगाने वाले लोग गंभीर आरोप लगा रहे हैं तथा आपदा से निपटने में अब अक्षम बता रहे हैं पर सरकार और सरकारी टीम लगातार आपदा राहत कार्यों में जुटी हुई है। पिथौरागढ़ में १ जुलाई को हुई आपदा से क्षति का आंकलन एवं राहत कार्य सरकार की विभिन्न टीमों द्वारा किया जा रहा है। रिलीफ टीम द्वारा डीडीहॉट के अन्य क्षेत्रों में क्षति आंकलन एवं राहत सहायता हेतु राहत कैंपों के प्रभावितों हेतु व्यवस्था का कार्य तेज किया गया है। पिथौरागढ़ जिले में दो मेडिकल टीमें राहत कैंप एवं प्रभावित क्षेत्रों में लोगों का परीक्षण कर रही हैं तथा मेडिकल टीम बीमार लोगों को दवाईयां भी दे रही हैं। पिथौरागढ़ कें सिंगली में अस्थायी पशु चिकित्सालय खोला गया है और वहां पर एक पशु चिकित्साधिकारी तैनात किया गया है,साथ ही पशुओं क ा टीकाकरण एवं चिकित्सा कार्य किया जा रहा है। पिथौरागढ़ क्षेत्र की तहसील डीडीहाट,कनालीछीना,थल, मुनस्यारी एवं अन्य क्षेत्रों में लगभग ७० से अधिक ग्रामों में विद्युत व्यवस्था बाधित थी जिसमें ६० ग्रामों में विद्युत आपूर्ति सुचारू कर दी गई है। अब भी दस गांवों के लोग बिजली संकट दूर होने का इंतजार कर रहे हैं। राहत बचाव कार्य में लगे कंट्रोल रूम से मिली जानकारी के अनुसार आपदा से हुई क्षति का आंकलन एवं राहत कार्य किया जा रहा है। कंट्रोल रूम के अनुसार प्रभावित परिवारों की संख्या २८ है। राहत शिविर में रह रहे व्यक्तियों की संख्या जाखणीगांव, घाट में ७० तथा तहसील घाट में ३० व्यक्तियों का प्रबंधन किया गया है। इसी प्रकार गढ़वाल में ऋषिकेश-बद्रीनाथ राष्ट्रीय राजमार्ग (नेशनल हाईवे-५८) लामबगड़ के समीप यातायात हेतु बंद है तथा बी.आर.ओ. द्वारा मार्ग को खोलने के लिए युद्धस्तर पर काम किया जा रहा है। चमोली जिले में ३४ मोटर मार्ग बंद है, जबकि तहसील-घाट के अन्तर्गत ३१ ग्रामों में पेयजल व्यवस्था बाधित है तथा साथ ही २७ ग्रामों में पेयजल सुविधा सुचारू कर दी गई है। तवाघाट-कंज्योति-सोबला मोटर मार्ग खेत के समीप यातायात हेतु मार्ग बंद है। इसके साथ ही थल-मुनस्यारी मोटर मार्ग नयाबस्ती के समीप यतायात मार्ग बंद है। मुनस्यारी-जौलजीवी-मदकोट मोटर मार्ग घिघरानी के समीप यातायात हेतु मार्ग बंद है। पिथौरागढ़ जिले में १६ ग्रामीण मोटर मार्ग यातायात हेतु बंद हैं। उत्तराखंड में आयी आपदा का प्रभाव चारधाम यात्रा पर भी पड़ रहा है इसका सर्वाधिक प्रभाव परिवहन एवं यातायात व्यवस्था से जुड़े लोगों को झेलना पड़ रहा है। जहां हजारों यात्री प्रतिदिन दर्शन करने आते थे वहीं बद्रीधाम तथा अन्य धामों के यात्रियों में काफी कमी आई है। कंट्रोल रूम से मिली जानकारी के अनुसार बद्रीनाथ धाम में ५५० तीथ यात्रियों ने दर्शन किये तथा हेमकुंड साहिब का दर्शन २७३ तीर्थयात्रियों ने दर्शन किए।