नई दिल्ली। नोटबंदी के मामले पर चर्चा करने के लिए आज वित्तीय मामलों की स्थाई संसदीय कमेटी की बैठक हुई। बैठक में RBI गवर्नर उर्जित पटेल, आर्थिक मामलों के सचिव शक्तिकांत दास कमेटी के सामने पेश हुए।
इस बैठक में नोटबंदी के फैसले और इस फैसले से भारतीय अर्थव्यवस्था पर पड़ने वाले असर पर चर्चा की गई। टीएमसी सांसद और स्थाई संसदीय कमेटी के सदस्य सौगत रॉय ने कहा कि हमें भारतीय रिजर्व बैंक के अधिकारियों में से किसी ने नहीं बताया कि सिस्टम कब तक सामान्य होगा।
सभी अधिकारी अपने बचाव में लगे हुए थे। साथ ही रॉय ने बताया कि आरबीआई गवर्नर उर्जित पटेल हमें यह भी नहीं बता पाए कि नोटबंदी के बाद से कितने पुराने नोट बैंकों में जमा हुए हैं।
सूत्रों के अनुसार आरबीआई गवर्नर उर्जित पटेल ने स्थाई संसदीय कमेटी के सदस्यों को बताया कि 9.2 लाख करोड़ रुपए की नई करेंसी बाजार में उतारी गई हैं।’
पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह भी कांग्रेस नेता विरप्पा मोइली की अध्यक्षता वाली वित्तीय मामलों की स्थाई संसदीय कमेटी के सदस्य हैं। कमेटी नोटबंदी के फैसले और उससे पड़ने वाले असर की जांच कर रही है। साथ ही कमेटी इसकी भी जांच कर रही है कि कैश की किल्लत को खत्म करने के लिए रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया ने क्या कदम उठाए।
जनवरी में ही शुरू हो गई थी प्रक्रिया
रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया के गवर्नर उर्जित पटेल ने संसदीय कमेटी को बताया कि नोटबंदी की प्रक्रिया पिछले साल जनवरी में ही शुरू हो गई थी। उर्जित पटेल का यह बयान विरोधाभास पैदा कर रहा है। इससे पहले लिखित में कमेटी को बताया गया था कि नोटबंदी के ऐलान से एक दिन पहले सात नवंबर 2016 को सरकार ने रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया को 500 और 1000 रुपए के पुराने नोट बंद करने की सलाह दी थी।
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