नई दिल्ली। वर्तमान चीफ ऑफ आर्मी स्टाफ दलबीर सिंह सुहाग ने जनरल वीके सिंह और विदेश राज्य मंत्री पर आरोप लगाते हुए कहा है कि उन्होंने उनके प्रमोशन को जानबूझकर रोका था। उन्होंने कहा कि वीके सिंह ने रहस्यमय तरीके और दुर्भावनापूर्ण इरादे से जानबूझकर उनके प्रमोशन को रोक कर रखा था। सुहाग ने कहा कि वीके सिंह ने यह सजा उन्हें असंगत वजहों से दी थी।बुधवार को सुप्रीम कोर्ट में सुहाग ने एक शपथपत्र दाखिल किया है। इस शपथपत्र में उन्होंने कहा है कि 2012 में उन्हें चीफ ऑफ आर्मी स्टाफ वीके सिंह ने सताया था। सुहाग ने कहा कि वीके सिंह का मुख्य उद्देश्य आर्मी कमांडर की नियुक्ति से रोकना था।दलबीर सिंह सुहाग ने शपथपत्र में कहा है, ’19 मई, 2012 को मेरे ऊपर कारण बताओ नोटिस में फर्जी, बेबुनियाद और काल्पनिक आरोप लगाए गए। मेरे ऊपर अवैध रूप से अनुशासनिक और सतर्कता बैन थोपा गया।’ लेफ्टिनेंट जनरल रवि दास्ताने ने एक याचिका दायर कर आरोप लगाया था कि दलबीर सिंह सुहाग को आर्मी कमांडर बनाने में पक्षपात किया गया था ताकि उन्हें बिक्रम सिंह के बाद आर्मी चीफ बनाया जा सके।कमांड और कंट्रोल में नाकामी का आरोप लगा अप्रैल और मई 2012 में वीके सिंह ने दलबीर सिंह सुहाग पर डिसिप्लिन और विजिलेंस बैन लगाया था। 2011 में 20 और 21 दिसंबर की रात दलबीर सिंह सुहाग ने असम के जोरहाट में एक ऑपरेशन चलाया था। इसमें तीन कोर इंटेलिजेंस और सर्विसलांस यूनिट शामिल थी। इस ऑपरेशन को लेकर ही दलबीर सिंह के खिलाफ कोर्ट ऑफ इन्क्वाइरी का आदेश दिया गया था।दलबीर सिंह दीमापुर बेस्ड 3 कॉर्प्स के जनरल ऑफिसर कमांडिंग थे। उन्होंने अपने शपथपत्र में जोरहाट ऑपरेशन का हवाला देते हुए कहा है कि वह उस दिन वार्षिक छुट्टी तहत ऑपरेशन से अलग थे। उन्होंने 26 दिसंबर 2011 को फिर से जॉइन किया था। 15 जून, 2012 को इस्टर्न कमांड में जीओसी-इन-सी के रूप में दलबीर सिंह के प्रमोशन को जनरल बिक्रम सिंह ने हरी झंडी दे दी थी। वीके सिंह के रिटायरमेंट के बाद 31 मई, 2012 को दलबीर सिंह से बैन भी हटा दिया गया था।इस प्रमोशन में देरी के कारण आर्मी कमांडर का पद 15 दिनों तक खाली रहा था। इसे सुप्रीम कोर्ट में दास्ताने ने चुनौती दी थी। दास्ताने ने दावे के साथ कहा था कि वह आर्मी कमांडर के योग्य थे लेकिन जनरल बिक्रम सिंह ने ऐसा नहीं होने दिया और उन्होंने दलबीर सिंह सुहाग का पक्ष लिया। ऐसा तब किया गया जबकि दलबीर सिंह सुहाग पर डीवी बैन लगा था। फरवरी 2012 में जब दास्ताने दलबीर सिंह सुहाग के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट गए तब वीके सिंह सरकार से उम्र को लेकर अपना मुकदमा सर्वोच्च न्यायालय में हार गए थे। सर्टिफिकेट पर उम्र को लेकर सुप्रीम कोर्ट से वीके सिंह ने सरकार के खिलाफ अपनी याचिका वापस ले ली थी।